अनुमति के नाम पर लगवाते रहे चक्कर, फिर बिना नोटिस के आशियाना गिरा दिया

पुणे: पुणे समाचार

गुणवंती परस्ते

पुणे के कैम्प इलाके में रहने वालीं 82 वर्षीय सरूबाई बाबूराव वाघमारे के सिर पर अब न छत है और न रहने के लिए कोई आश्रय। पिछले 62 सालों से वो जिस घर में रह रही थीं, उसे महानगर पालिका ने पलक-झपकते ही जमींदोज कर दिया। अधिकारियों का तर्क है कि मानसून से पूर्व खतरनाक मकानों को गिराने के अभियान के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। हालांकि उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि कार्रवाई से पहले नोटिस जारी क्यों नहीं किया गया, जबकि नियमों के तहत यह ज़रूरी है? जिस वक़्त सरूबाई का आशियाना गिराया जा रहा था, वो अस्पताल में भर्ती थीं। जब वापस लौटीं तो अपने घर को मलबे में तब्दील पाया। आंखों में आंसू लिए सरूबाई ने कहा, “मैं मेमोरियल हॉल के सामने स्थित विवेकानंद सोसाइटी नेहरू के पीछे बने मकान में पिछले 62 सालों से रह रही थी, भले ही भले ही मैं किरायेदार हूँ, लेकिन मैंने उस घर में अपनी जिंदगी भर की पूंजी लगा दी थी।  मेरा घर काफी खस्ता हालत में था, जिसकी मरम्मत के लिए बार-बार महापालिका से अनुमति मांगी, मगर सुनवाई नहीं हुई। हर बार अधिकारी कागजों का हवाला देकर वापस भेज दिया करते थे। आज बिना किसी नोटिस के मेरा घर गिरा दिया गया, मेरे पास न पैसे हैं और सिर छिपाने के लिए कोई जगह। समझ नहीं आ रहा अब मैं क्या करुँगी?”

चार दिन पहले ही करवाई थी मरम्मत

सरूबाई वाघमारे कई बार मरम्मत की अनुमति मांग चुकी थीं, लेकिन अधिकारियों ने इसके लिए टैक्स विभाग का एनओसी व स्ट्रक्चरल सर्टिफिकेट जमा करने को कहा था। किरायेदार होने की वजह से सरूबाई वाघमारे के पास संबंधित कागज नहीं थे। कुछ सोसाइटी वालों ने बताया कि उन्होंने सरूबाई को समझाया था कि अनुमति के लिए भागदौड़ करने के बजाये बारिश शुरू होने से पहले घर की मरम्मत कराएं, क्योंकि वि कभी भी गिर सकता है। चार दिन पहले ही उन्होंने पूरे घर की मरम्मत कराई थी। इसके बाद तबीयत बिगड़ने के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, शुक्रवार को ही वह डिस्चार्ज हुई थीं। जब सरूबाई वापस लौटीं तो उनका घर मलबे में तब्दील हो चुका था।

केस दर्ज करवाऊंगा ?

शिवसेना शहर संघटक व सामाजिक कार्यकर्ता अभय वाघमारे ने कहा कि काफी सालों से सरूबाई यहां रह रही हैं। उनका मकान इतनी जर्जर अवस्था में पहुंच चुका था कि कभी भी गिर सकता था। उन्होंने अनुमति के लिए मनपा के कई चक्कर लगाये, लेकिन अधिकारी हर बार उन्हें कागजातों में उलझाकर वापस लौटा देते थे। आखिर में थक हारकर उन्होंने सोसाइटी के सदस्यों की सहमति से घर की मरम्मत कारवाई। बिना नोटिस दिए घर गिराने पूरी तरह गलत है। मैं इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाऊंगा।