केंद्र का बड़ा फैसला, मेघालय से आफ्सपा हटाया

नई दिल्ली: चुनावी मौसम में केंद्र सरकार ने सोमवार को मेघालय से विवादास्पद आर्म्ड फोर्स स्पेशल पवार ऐक्ट (आफ्सपा) को पूरी तरह से हटा लिया। साथ ही अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों से भी इस ऐक्ट को हटा दिया गया है। इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को मिलने वाले विशेष अधिकारों का काफी समय से विरोध होता रहा है। सितंबर 2017 तक मेघालय के 40 फीसदी क्षेत्र में आफ्सपा लागू था। एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के साथ बातचीत के बाद मेघालय से आफ्सपा को पूरी तरह से हटाने का फैसला लिया गया।

इसी प्रकार आफ्सपा अरुणाचल प्रदेश के केवल 8 पुलिस स्टेशनों में ही लागू है, जबकि 2017 में यह 16 थानों में प्रभावी था। एक अन्य फैसले में गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के लिए आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत मदद राशि 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है। यह नीति 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी।

क्या है आफ्सपा?

आफ्सपा सेना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। इस ऐक्ट को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाकर लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जाती रही है। आफ्सपा का सेक्शन 4, सुरक्षाबलों को किसी भी परिसर की तलाशी लेने और बिना वॉरंट किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। इसके तहत विवादित इलाकों में सुरक्षाबल किसी भी स्तर तक शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं। संदेह होने की स्थिति उन्हें किसी गाड़ी को रोकने,तलाशी लेने और उसे सीज करने का अधिकार होता है।

क्या कहते हैं सुरक्षाबल

सबसे पहले 1958 में पूर्वोत्तर में विद्रोहियों से निपटने के लिए संसद की तरफ से लागू किया गया आफ्सपा जवानों को जरूरी अधिकार देता है। जवानों के मुताबिक इस कानून की मदद से काफी खतरनाक स्थितियों में आतंकी या दूसरे खतरों से जूझ रहे जवानों को कार्रवाई में सहयोग मिलने के साथ-साथ सुरक्षा भी मिलती है।