केंद्र सरकार ने आरबीआई को कमजोर बैंकों की पहचान करने को कहा

नई दिल्ली। समाचार ऑनलाइन

सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से ऐसे बैंकों की पहचान करने के लिए कहा है, जिनका आपस में विलय किया जा सके। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने आरबीआई को इस विलय प्रक्रिया के लिए एक समय सीमा भी बताने के लिए कहा है। इस कदम का उद्देश्‍य सरकारी बैंकों की संख्‍या कम करना, बेहतर पूंजी वाला बैंक बनान और नियामकीय जरूरतों को बेहतर बनाना है।

[amazon_link asins=’B07G556924′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’b67939c4-ab88-11e8-95e8-b77d522a5a9b’]

भारत बैंकों को साफ-सुथरा बनाने की चुनौती से लड़ रहा है। दुनिया की 10 बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से इटली के बाद भारत में सबसे ज्‍यादा एनपीए अनुपात है। देश में कुल एनपीए में से लगभग 90 प्रतिशत सरकारी बैंकों का है। 21 में से 11 सरकारी बैंक आरबीआई की त्‍वरित सुधार निगरानी में हैं, जिन पर नया कर्ज देने की रोक लगी हुई है।[amazon_link asins=’B077GRCS3Z’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’cb4e7b02-ab88-11e8-9023-39d19962a07c’]

सूचना का अधिकार से पता चला है कि वित्त वर्ष 2017-18 बकायादारों से वास्तविक वसूली के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के फंसे कर्जों (एनपीए) में 64106 करोड़ रुपए की कमी आई है। हालांकि मार्च समाप्‍त हुए वित्‍त वर्ष में इन बैंकों का सकल फंसा कर्ज (ग्रॉस एनपीए) बढ़ते-बढ़ते 8,95,601 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया। वित्‍त वर्ष 2016-17 की समाप्ति के समय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का फंसा कर्ज 684732 करोड़ रुपए था।

नोटबंदी से बैंकों में वापस आए 99.3 फीसदी पुराने नोट, आरबीआई की रिपोर्ट