अपने उत्पादों के बहिष्कार से बिफरा चीन, कहा- गाय के गोबर से बने दीये जलाए भारत

नई दिल्ली. आनलाइन टीम : भारत-चीन सीमा विवाद का असर चीन के सस्ते उत्पादों की बिक्री पर भी पड़ रहा है। भारत में इस बार कई दुकानदार और रिटेलर दिवाली से जुड़े चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, दिवाली के दौरान 2018 में बेचे जाने वाले चीनी सामानों का मूल्य लगभग 8000 करोड़ रुपए था, जबकि 2019 में दीपावली के त्योहार पर चीनी सामानों की बिक्री लगभग 3200 करोड़ रुपए की हुई और अब 2020 में इसमें और कमी आई है। सर्वेक्षण के अनुसार चीनी उत्पादों की बिक्री में बड़ी गिरावट ख़ास तौर पर गिफ्ट आइटम, इलेक्ट्रिकल गैजेट्स, फैंसी लाइट्स, बरतन और रसोई उपकरण, प्लास्टिक आइटम, भारतीय देवताओं और मूर्तियों, घर की सजावट के सामान, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, दीवार हैंगिंग, लैंप, होम फर्निशिंग आइटम, फुटवियर, गारमेंट्स और फैशन गारमेंट आदि में मुख्य रूप से हुई है।

चीन को इस बात से ऐसी मिर्ची लगी है कि वहां के सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने इसे लेकर एक आर्टिकल छापा है। इस आर्टिकल का शीर्षक है- क्या गाय के गोबर से बने दीयों से भारत में ज्यादा अच्छी दिवाली मनेगी?  अखबार ने दावा किया है कि इससे चीनी कारोबारियों से ज्यादा भारतीयों को ही नुकसान होगा। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि इससे गरीब भारतीयों के लिए दिवाली मनाना मुश्किल हो जाएगा।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, महामारी और चीन-भारत के संघर्ष के बाद कई चीनी कंपनियों ने नुकसान से बचने के लिए घरेलू बाजार और पड़ोसी देशों में अपना कारोबार शिफ्ट कर लिया था। जो कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं, उन्होंने भी किसी भी तरह के जोखिम से बचने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत की व्यापार नीति या टैरिफ की वजह से कई कंपनियों ने एडवांस पेमेंट लिया है। इन सारे कारणों की वजह से इस साल की दिवाली पर चीन के उत्पाद कम देखने को मिलेंगे और भारतीय उपभोक्ता भी धीरे-धीरे इसके असर को महसूस करेंगे।

अंत में धमकी भरे अंदाज में लिखा है, भारत में चीनी उत्पाद हमेशा से ही निशाने पर रहे हैं लेकिन एक बात याद रखनी चाहिए कि चीन-भारत का व्यापार पारस्परिक हितों और फायदे पर निर्भर है। अगर द्विपक्षीय संबंधों को कोई नुकसान पहुंचता है तो इसका असर इंडस्ट्रियल चेन और उपभोक्ता बाजार पर भी पड़ेगा। चीनी निर्यातक जाहिर तौर पर परेशान होंगे, लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को भी नुकसान पहुंचेगा।