चीन में ‘शक्ति का केंद्रीकरण’ सही नहीं : दलाई लामा

गया, 17 दिसंबर (आईएएनएस)| बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने यहां सोमवार को बौद्ध संप्रदाय के प्रसिद्ध तीर्थस्थल बिहार के बोधगया स्थित प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर के दर्शन किए। धर्मगुरु ने मंदिर के गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की और पवित्र बोधिवृक्ष के भी दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने कहा कि चीन में शक्ति का केंद्रीकरण (सेंट्रलाइज पावर) है, जो सही नहीं है। धर्मगुरु दलाई लामा सुबह ही महाबोधि मंदिर पहुंच गए और भगवान बुद्ध को नमन कर पूजा-अर्चना की और ध्यान लगाया। इस दौरान तिब्बत मॉनेस्ट्री से लेकर महाबोधि मंदिर तक सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था क गई थी।

मंदिर से बाहर निकलने पर चीन के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में धर्मगुरु ने कहा, “समाजवाद की व्यवस्था पूंजीवादी व्यवस्था से बेहतर है, जिसका मैं भी समर्थन करता हूं। लेकिन चीन में सेंट्रलाइज पावर है, जो सही नहीं है।”

उन्होंने कहा कि वर्तमान आधुनिकता के दौर में प्रत्येक व्यक्ति को आजादी का अधिकार है। सभी को आजाद रहने का हक है। उन्होंने बौद्ध धर्म की चर्चा करते हुए कहा कि यह धर्म सभी के प्रति समान भाव रखती है।

दलाई लामा के मंदिर आगमन की सूचना के बाद उनके दर्शन के लिए बौद्ध धर्मावलंबियों की बड़ी भीड़ सड़क के दोनों ओर खड़ी रही। मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं ने अपने धर्मगुरु की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे।

दलाई लामा रविवार को ही बोधगया पहुंच गए थे। बोधगया में उनका स्वागत तिब्बती मोनेस्ट्री के लामा और जिला प्रशासन ने किया। धर्मगुरु आठ जनवरी तक बोधगया में प्रवास करेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

बोधगया प्रवास के दौरान दलाईलामा कालचक्र मैदान में 28 से 30 दिसंबर तक आयोजित विशेष शिक्षण कार्यक्रम में शामिल होंगे, जहां वे प्रवचन (टीचिंग) देंगे। इस कार्यक्रम में देश-विदेश के हजारों बौद्ध श्रद्धालु शामिल होंगे। दलाई लामा को लेकर बोधगया की सुरक्षा बढ़ दी गई है।

मान्यता है कि भगवान महात्मा बुद्ध को बोधगया स्थित पवित्र महाबोधि वृक्ष के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। प्रतिवर्ष देश-विदेश के लाखों बौद्ध धर्मावलंबी यहां पहुंचते हैं।