कोलोरेक्टल कैंसर और उपचार ! डॉ. भरत भोसले (मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट बॉम्बे आणि हॉली स्पिरीट हॉस्पिटल)

हम सभी ने फेफड़े, स्तन, गर्भाशय और ल्यूकेमिया के बारे में सुना है। कोलोरेक्टल कैंसर भी एक प्रकार का कैंसर है। इसे कोलन कैंसर भी कहा जाता है। हालांकि, इस कैंसर के बारे में लोगों में पर्याप्त जागरूकता नहीं है। लेकिन, अन्य कैंसर की तरह, यह बहुत जानलेवा हो सकता है। लेकिन इस कैंसर का जल्दी पता लगने से इलाज हो सकता है।

मलाशय और बृहदान्त्र कोशिकाओं की अत्यधिक वृद्धि कैंसर का कारण बनती है। धूम्रपान, आंतों में सूजन और मोटे लोगों में इस कैंसर के बढ़ने का खतरा होता है। इसके अलावा, पारिवारिक इतिहास, लाल मांस का सेवन और कम फाइबर वाले भोजन खाने से जोखिम बढ़ सकती है। कब्ज, आंतों से खून बहना, मलाशय में रक्तस्राव, पेट में दर्द, बार-बार गैस होना, काले या गहरे रंग के मल और कमजोरी यह कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण हैं। यदि यह लक्षण दिखाई देते है हैं, तो घबराएं नहीं और तुरंत एक विशेषज्ञ से सलाह ले। यदि समय रहते इसका निदान और उपचार किया जाए तो यह कैंसर ठीक हो सकता है।

इन कारणों से बढ सकता है कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा।

• मोटापा और वजन बढ़ना – मोटापा एक ऐसी बीमारी है जो कई बीमारियों को न्योता देती है। वर्तमान में, भारत में अधिकांश लोग मोटापे के कारण होने वाली विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। मोटापा अब कोलोरेक्टल कैंसर का प्रमुख कारण है। पुरुष और महिला दोनों में मोटापा बढ़ रहा है। हालांकि, ५० वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने की अधिक संभावना है। शरीर के वजन बढ़ने को नियंत्रित करके कैंसर के इस जोखिम से बचा जा सकता है।

• व्यायाम की कमी – काम में व्यस्त होने के कारण व्यायाम को समय नहीं दे पाना बहुत गलत है। शारीरिक गतिविधि की कमी से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए हर दिन आधे घंटे व्यायाम करना आवश्यक है। इसके लिए साइक्लिंग, स्विमिंग, वॉकिंग, जॉगिंग, योग, एरोबिक्स और गमिंग जैसे व्यायाम करने चाहिए। इसके अलावा खुद को तनाव से दूर रखने के लिए नियमित रूप से ध्यान करें।

• पौष्टिक आहार खाएं – स्वास्थ्य अच्छा हो तो कोई बिमारी आपको छु भी नही सकती। लेकिन अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, शरीर को एक स्वस्थ आहार की आवश्यकता होती है। इसके लिए प्रतिदिन अपने आहार में ताजे फल, सब्जियां, फलियां, दालें और साबुत अनाज शामिल करें। रेड मीट, प्रक्रिया किया हुआ खाना, अतिरिक्त मिठाइयों, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और जंक फूड से बचें।

• धूम्रपान न करें – धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन फिर भी लोग धूम्रपान न करने की चेतावनी के संकेतों को आसानी से अनदेखा कर देते हैं। धूम्रपान से न केवल फेफड़ों का कैंसर होता है, बल्कि कोलोरेक्टल कैंसर भी होता है। धूम्रपान से डीएनए को नुकसान होता है क्योंकि रासायनिक तत्व व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं। यह बड़ी आंत को भी घायल कर सकता है और कोलोरेक्टल कैंसर का कारण बन सकता है।

• अत्यधिक शराब का सेवन करने से बचें – धूम्रपान की तरह, शराब के सेवन से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, शराब का सेवन कम करना चाहिए।

• आयु – कोलोरेक्टल कैंसर युवा लोगों में हो सकता है, लेकिन यह वयस्कों में अधिक आम है। ५० वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा अधिक होता है।
• पारिवारिक इतिहास – यदि परिवार के किसी व्यक्ति को पेट का कैंसर है, तो यह अन्य लोगों में फैल सकता है। व्यक्तियों, साथ ही जिन लोगों को १० से अधिक वर्षों से अल्सरेटिव कोलाइटिस है, उन्हें वर्ष में एक बार डॉक्टर या दूरबीन द्वारा अपने बृहदान्त्र की जांच करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, आवश्यक सावधानी बरती जानी चाहिए।

कोलोरेक्टल कैंसर के उपचार –

कोलोन कैंसर का निदान करने के लिए कोलोनोस्कोपी टेस्ट की जरूरत होती है। इसमें टॉयलेट की जगह से बड़ी आंत में एक ट्यूब डाली जाती है और आंत का अंदर से पूरी तरह से निरीक्षण किया जाता है। यदि कोई संदिग्ध पाया जाता है, तो कुछ ऊतक के नमूने लिए जाते हैं और जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे जाते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर का पता चलने के बाद, मरीज की वैद्यकीय स्थिति जाचकर इलाज किया जाता है। इस उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन और लक्षित थेरपी शामिल है।