यौन मामले पर विवादास्पद फैसला…जज गनेड़ीवाला का कंफर्मेशन कॉलेजियम ने रोका

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : यौन शोषण से जुड़े दो मामलों के आरोपियों को बरी करने के एक के बाद एक विवादास्पद फैसलों के कारण चर्चा में आईं बंबई उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति पुष्पा वी. गनेड़ीवाला को काफी भारी पड़ा है।   उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति पुष्पा गनेड़ीवाला को उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बनाने की केंद्र को की गई सिफारिश को कथित रूप से वापस ले लिया है।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने बंबई उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के तौर पर न्यायमूर्ति गनेड़ीवाल की सिफारिश की थी। हालांकि उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड ने बंद दरवाजों के पीछे गनेड़ीवाल को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के खिलाफ अपनी राय रखी थी। दोनों ने फरवरी 2019 में उन्हें बंबई उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाने का भी विरोध किया था।

बता दें कि न्यायमूर्ति गनेड़ीवाला के त्वचा से त्वचा का संपर्क वाले आदेश के खिलाफ उनकी सार्वजनिक आलोचना शुरू हो गई थी। 19 जनवरी को उन्होंने  सत्र न्यायालय के आदेश को संशोधित किया था। इसमें उन्होंने पॉक्सो अधिनियम के तहत 39 साल के एक व्यक्ति को बरी कर दिया था।

न्यायमूर्ति पुष्पा गनेड़ीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ‘किसी नाबालिग को निर्वस्त्र किए बिना, उसके स्तन को छूना, यौन हमला नहीं कहा जा सकता।’ मालूम हो कि मामले में उसकी मां ने कहा था कि आरोपी उनकी बच्ची का स्तन छू रहा था, जिसे उन्होंने देख लिया था। वह बाहर गईं थी, और ऐन मौके पर पहुंच गई थीं। अदालत ने आरोपी को इस आधार पर बरी कर दिया था कि उनके बीच त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं बना था। फैसले के बाद लोगों का कहना था कि यह यौन उत्पीड़न के मामले में बच्ची के प्रति जज की असंवेदनशीलता दिखाता है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने उनके इस फैसले पर रोक लगा दी है।