दादा-दादी की ज़िम्मेदारी नहीं बच्चों को संभालना

पुणे समाचार

माता-पिता काम के सिलसिले में बाहर जाते और दादा दादी बच्चों को संभालते हैं, ऐसा माहौल आज सभी जगह देखने को मिलता है। इस पर पुणे के फैमिली कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। बच्चों को संभालना यह दादा दादी की जिम्मेदारी नहीं है। ऐसा निर्णय पुणे के फैमिली कोर्ट ने दी है। पैरेंट्स काम के सिलसिले में बाहर जाते हैं, इसका मतलब दादा दादी बेबी सीटर नहीं हैं। इसलिए उन पर बच्चों की जिम्मेदारी उन पर लदा नहीं जा सकता। ऐसा पुणे फैमिली कोर्ट ने कहा है।

बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी माता पिता की होती है, दादा दादी सिर्फ बच्चों को संभालने में मदद कर सकते हैं। बच्चों का पालन पोषण करने में मार्गदर्शन कर सकते हैं। लेकिन उन पर जबरदस्ती नहीं कर सकते हैं। पुणे में एक महिला ने दो बच्चों की देखभाल के खर्च मिले इसके लिए उसने याचिका दर्ज की थी।

2012 में एक 40 साल की महिला ने विवाहित महिला ने पति बच्चों और उसको संभालता नहीं था, इसलिए महिला ने केस दर्ज किया था। दोनों बच्चे नाबालिग हैं। पहले बेटे के जन्म के बाद पति हमारा खयाल नहीं रखता ओर सास ससुर दूसरे बेटे के साथ रहते हैं। इस मामले में महिला ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने निर्णय सुनाया।