महाराष्ट्र में  एक लाख के करीब पहुँचा कुपोषित बच्चों का आँकड़ा 

पुणे | समाचार ऑनलाइन 
राज्य में 57 लाख बच्चों का प्रत्येक महीने एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत उनके वजन और पोषण की जांच की जाती है, लगभग 87,000 से अधिक बच्चे कम वजन वाले है।

पिछले जून में ऐसे बच्चों की संख्या 83,071 थी जो अब बढ़ कर इस जून तक एक लाख के करीब आ गई है। जून 2018 तक के डेटा के अनुसार, जनजातीय बच्चों में, पिछले छह महीनों के दौरान यह संख्या हर महीने 28,000 से 38,000 के बीच घूम रही है। राज्य महिलाओं और बाल विकास विभाग के आईसीडीएस के आकड़ो के अनुसार पांच साल से कम उम्र के बच्चों की पोषण की स्थिति चिंताजनक है। कुपोषण के कारण एक जनजातीय क्षेत्र में आश्रम स्कूल की 14 वर्षीय लड़की की हालिया मौत पहले से ही चिंता का कारण बनी हुई है।

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इस योजना में ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्र के सभी बच्चों को शामिल किया गया है। शहरी क्षेत्रों में, यह मलिन बस्तियों के बच्चों को शामिल किया गया है। कई कारणों से बच्चों का वजन कम होता है और उचित पोषण नहीं मिलता है उनमें से एक है। गर्भावस्था के दौरान मां का हीमोग्लोबिन स्तर, प्रसव के बाद सावधानी बरतने, जन्म के बाद उचित पोषण, टीका स्थिति और चिकित्सा, आनुवांशिक तथ्य बच्चे के वजन को निर्धारित करता  हैं। ”

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बाल अधिकारों के कार्यकर्ता यामिनी अब्बे ने कहा कि जब तक माता-पिता को पोषण के बारे में अवगत नहीं करवाया जाता और खाद्य प्रदार्थों से पाबंदी नहीं हटाई जाती, तब तक आईसीडीएस केवल आंशिक रूप से काम करेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, सरकार बच्चों को पूरा भोजन और पोषण नहीं दे सकती, यह माता-पिता की भी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है।