दत्तवाडी फायरिंग मामला, निलेश घायवल गैंग के 26 लोग निर्दोष बरी

पुणे – समाचार ऑनलाइन – गजानन मारणे और निलेश घायवल के गैंगवार में 2010 में हुए फायरिंग में सचिन कुडले की हत्या की गई थी। इस मामले में पुलिस ने निलेश घायवल गैंग के 26 लोगों को मकोका अंतर्गत कार्रवाई की थी। लेकिन सबूत के अभावों के चलते पुलिस उनका अपराध साबित नहीं कर सकी। मकोका विशेष कोर्ट ने निलेश घायवल व सचिन घायवल सहित गैंग के 26 लोगों को निर्दोष बरी किया है।

दत्तवाडी में 2010 में गजानन मारणे और निलेश घायवल की गैंग के बीच झड़प हुई थी। जिसमें सचिन कुडले की हत्या की गई थी। इस दौरान देर रात गजानन मारणे और निलेश घायवल गैंग के सदस्यों ने दत्तवाडी में फायरिंग कर दहशत निर्माण की थी। जिसके चलते शहर में कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठ खड़े हुए थे। उसके बाद अतुल कुडले के शिकायत पर पुलिस ने घायवल गैंग के 26 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। गैंग पर मकोका लगाया गया था।

सरकारी पक्ष अनुसार 8 मई 2010 को अतुल कुडले दत्तवाडी पुलिस स्टेशन में एक मामले में पुलिस हिरासत में एक नाबालिग 17 वर्षीय साथीदार को मिलने के लिए आया था। पुलिस स्टेशन से जाने के बाद घायवल गैंग के 8 लोगों ने बाइक से उसका पीछा किया था। उसके बाद सचिन कुडले पर फायरिंग की थी। सचिन कुडले की मौके पर ही मौत हो गई थी। उसका साथीदार बालाजी कदम घायल हुआ था।उसके बाद गैंग ने पप्पू कुडले की कार का पीछा किया था। उसने कार दत्तवाडी पुलिस चौकी के पास रुकायी थी। लेकिन चौकी में जाने से पहले ही निलेश घायवल के साथीदार संतोष गावडे ने फायरिंग की थी। पप्पू कुडले के हाथ में गोली लगने से जख्म हुआ था। गावडे ने कुडले के ऊपर तेजधार हथियार भी फेंका था। लेकिन वह उसमें बच गया था। करीबन आधे घंटे तक यह दहशत का हंगामा चल रहा था। उसके बाद पुलिस ने जांच शुरु की थी। इस दौरान गजानन मारणे और निलेश घायवल गैंग के वर्चस्व की लड़ाई सामने आयी थी।  जिसके चलते मकोका लगाया था।

कोर्ट में इस केस में 25 गवाह पेश किए गए थे, जिसमें पुलिस के अलावा 17 लोगों अपने गवाही से पलट गए। सचिन कुडले के भाई अतुल कुडले भी अपने बयान से पलट गया, कोर्ट में यह बताया कि गिरने से वह जख्मी हुआ था। पुलिस कोर्ट में गैंग का अपराध साबित करने में नाकाम रही।  जिसके चलते विशेष न्यायाधीश ए.एन. सिरसीकर ने 26 लोगों को निर्दोष बरी किया।