चांदनी चौक फ्लाइओवर के लिए भू-संपादन सख्ती से करने का निर्णय

पुणे : समाचार ऑनलाईन – शहर के महत्वपूर्ण चांदनी चौक स्थित फ्लाइओवर का कार्य केवल डेढ़ प्रतिशत यानी एक हेक्टेयर भू-संपादन के कारण पेंडिंग है। इस जगह को कब्जे में लेने मनपा द्वारा संबंधित जगह मालिकों को सभी प्रकार के विकल्प बताकर प्रयास किया। फिर भी प्रशासन के कार्य में बाधा लाने का प्रयास जारी है। यह दिखाई देने पर प्रशासन द्वारा शेष एक हेक्टेयर जमीन सख्ती से संपादित करने का निर्णय लिया है। इस बारे में जिलाधिकारी को पत्र भी दिया गया है।
चांदनी चौक स्थित दो मंजिला फ्लाइओवर का कार्य केवल भू-संपादन पूरा नहीं होने से पिछले दो वर्षों से पेंडिंग है। भू-संपादन समय पर कराने की मांग नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा मनपा से करने के बाद फ्लाइओवर का भूमिपूजन केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी के हाथों सितंबर 2017 में किया गया। उसके बाद भी एक से डेढ़ वर्ष तक भू-संपादन के कार्य में बाधा आयी। इस फ्लाइओवर के लिए 13।92 हेक्टेयर जमीन का संपादन व 67 फ्लैट और दो बंगले कब्जे में लिए जाने वाले थे। इस जगह को संपादित करने जरूरी फंड मनपा के पास उपलब्ध नहीं होने से कार्य शुरू नहीं हुआ। उसके बाद मनपा आयुक्त सौरभ राव ने इस बारे में सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से ध्यान देने की मांग की। राज्य सरकार ने स्पेशल केस के रूप में पुणे मनपा को करीब 185 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद घोषित की।
राज्य सरकार द्वारा आर्थिक मदद देने के बाद मनपा प्रशासन ने अलग समिति गठित कर अतिरिक्त अधिकारी व कर्मचारियों की नियुक्ति कर भू-संपादन का कार्य तेजी से शुरू किया। इसमें प्रशासन को सफलता भी मिली। अब तक करीब 98 प्रतिशत जगह को संपादित किया गया है। केवल एक हेक्टेयर जमीन कब्जे में नहीं मिलने से प्रशासन को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस बारे में प्रशासन ने सभी जगह मालिकों से चर्चा कर हल निकालने का प्रयास किया। कोई भी हल नहीं निकलने के बाद सख्ती से भू-संपादन करने का निर्णय लिया गया है। इस बारे में जिलाधिकारी को लिखित पत्र दिया गया है।
मनपा आयुक्त सौरभ राव ने बताया कि चांदनी चौक, कोथरूड, वारजे व बाणेर परिसर की ट्रैफिक समस्या दूर करने चांदनी चौक में दो मंजिला फ्लाइओवर बनाने का कार्य किया जाएगा। इसके लिए जरूरी जगह को संपादित करने पिछले 8 से 10 महीनों से युद्ध स्तर पर प्रयास जारी हैं। इसमें प्रशासन को सफलता भी मिली। केवल एक हेक्टेयर जमीन को संपादित करने में समस्या आने से इसे सख्ती से संपादित करने का निर्णय लिया गया है।