स्त्री पुरुष समानता के बिना लोकतंत्र नहीं टिक सकता – डॉ. ए.पी. माहेश्वरी

पुणे : समाचार ऑनलाइन – आज जहां हम स्त्री-पुरुष समानता की बात करते हैं, आज वहीं सबसे ज्यादा महिलाओं और बच्चियों के साथ अपराध हो रहा है। घरेलू हिंसा, ह्युमन ट्रैफिकिंग, महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों को समझने के लिए समाज को एकजुट होकर काम करने की जरुरत है। ऐसे विचार ब्युरो ऑफ पुलिस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट, नई दिल्ली के पुलिस महासंचालक डॉ. ए. पी. माहेश्वरी ने व्यक्त किए।

पुणे शहर पुलिस आयुक्तालय की ओर से आज शुक्रवार यशदा में महिला व बच्चों की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रीय चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। इस दौरान वे बोल रहे थे। इस दौरान प्रमुख अतिथि के रुप में वे बोल रहे थे। साथ ही विधायक नीलम गो-र्हे, अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी, इंडियन पुलिस फाऊंडेशन के अध्यक्ष एन रामचंद्रन, पुलिस कमिश्नर डॉ.के. व्यंकटेशम उपस्थित थे।

साथ ही डॉ. ए.पी. माहेश्वरी ने कहा कि लोकतंत्र तभी टिक सकता है, जब स्त्री पुरुष समानता है। यह समानता सामाजिक एकजुटता से ही लाया जा सकता है। सामाजिक एकजुटता में काफी ताकत है, यह हमें समझना चाहिए। आज विश्व में सालाना तीन हजार करोड़ लोग घरेलू हिंसा की वजह से मर रहे हैं। आज के समय सीधे हिंसा की जगह पर छुपी हिंसा के तेवर देखने को मिल रहा है। बदलते समय के साथ अपराध में भी बदलाव हुआ है। जिसका शिकार आज भी महिलाएं और बच्चे हो रहे हैं। साइबर अपराध का शिकार भी बड़े पैमाने में महिलाएं और बच्चे हो रहे हैं। डिजीटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बच्चे और महिलाओं की फोटो के जरिए ब्लैकमेल के रुप में किया जा रहा है। इन सभी अपराधों से अगर निपटना है, तो सभी को एकत्र आकर काम करना चाहिए। ए.पी. माहेश्वरी ने अपने विचार प्रकट किए।

विधायक नीलम गो-र्हे ने कहा कि महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध काफी संवेदनशील होते हैं। इन अपराधों को दर्ज करते समय और न्याय दिलाते समय पीड़ित महिलाओं और बच्चों से पुलिस प्रशासन, हॉस्पिटल प्रशासन और न्यायप्रणाली को संवेदनशीलता से हैंडल करना चाहिए। बहुत बार बलात्कार पीड़ित को पुलिस स्टेशन, हॉस्पिटल और कोर्ट में असंवेदनशील और शर्मसार कर देनेवाली भाषा और व्यवहार का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से बहुत सी पीड़ित महिलाएं अपने हुए अत्याचार को लेकर बयां करने में झिझकती हैं। पुलिस कॉन्सटेबल से लेकर वरिष्ठ अधिकारी को महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों को लेकर संवेदनशील होने की आवश्यकता है। एक अच्छा पुलिस अधिकारी किसी केस में आरोपी को सजा दिलवाने में सफल होता है, तभी केस की अहमियत होती है। भारत में 8 से 10 प्रतिशत ही केसों में सजा मिली है, जबकि जापान में कनविक्शन प्रतिशत काफी आगे है। जापान में 90 प्रतिशत केसों को कनविक्शन होता है। हमें इस स्थिती में पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए।

अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी ने कहा कि स्त्री-पुरुष की समानता का पाठ हमें हमारे घर से ही शुरुवात करनी चाहिए। अगर अभिभावक अपने बच्चों को शुरुवात से ही सिखाएंगे कि हमें महिलाओं, बच्चों और अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए तो स्त्री पुरुष असमानता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। साथ ही बॉलीवुड में चल रहे मीटू को लेकर और वर्क प्लेस में महिलाओं के साथ होनेवाले अत्याचार को लेकर मृणाल कुलकर्णी ने कहा कि हमें हमारा लक्ष्य हमेशा तय करना चाहिए। हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता पता होना चाहिए। महिलाओं को अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए एक दायरे को तय कर ही काम करना चाहिए, जिससे उनके साथ होनेवाली छेड़खानी काफी हद तक कम हो जाएगी।

इंडियन पुलिस फाऊंडेशन के अध्यक्ष रामचंद्रन ने कहा कि महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराध बड़े पैमाने में दर्ज नहीं होते और सामने नहीं आते हैं। हालांकि 6 महीने की बच्ची भी अपराध का शिकार हो रही है। 21 वी शताब्दी में पहुंचने के बाद भी महिला और बच्चे अपराध का शिकार हो रहे हैं। समय के साथ महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध में भी बदलाव हुआ है। साइबर क्राइम का सबसे ज्यादा महिला और बच्चे शिकार हो रहे है। ह्यूमन ट्रैफिकिंग की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है, दिल्ली और मुंबई जैसे शहर में ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले काफी आ रहे है। हर साल 10000 से ज्यादा महिला और बच्चों को बेचा जाता है ।शादी के नाम महिलाओं को उनके ही परिवारजन ही बेच देते हैं। ह्यूमन ट्रैफिकिंग का भारत सबसे बड़ा सौर्स है। इन अपराधों को रोकने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम करने की आवश्यकता हैं। ग्राऊंड लेवल में पहुंचकर हमें अपराधों को समझने की आवश्यकता है और उनके निपटारो को लेकर काम करने की आवश्यकता है।