शारदानगर के इंडो – डच सेंटर में ज्यादा उत्पादन देनेवाली सब्जींओंका प्रात्यक्षिक

बारामती – टमाटर का पेड 40 फीट तक होगा इसका उत्पादन छह महिने के बजाए नौ महिने रहेगा बैंगन, सिमला मिर्च, ककडी जैसी सभी सब्जीयों के पौधे भी दुनिया में सबसे अच्छे संकर नस्ल के पौधे भी होगे । हमेशा की तरह एक वर्ग मीटरमध्ये बीस किलो उत्पाद के बजाय 70 किलो उत्पाद मिलेगा सब्जीयाॅं रोगप्रतिरोधि (एंटीबाॅडी) रहेगी । यह मिट्टी के बिना कृषि में अनोखा प्रयोग होगा । और फलों का आकार भी बढा होगा ।

जिस दिन सब्जी के पेड की धूप अधिक होगी उस दिन उतना ही पानी उन पेडों को दिया जायेगा । यह सच कहे तो सपना नही यह सब अभी किसानों के बस में है और इसका कारण है शारदानगर का इंडो – डच सब्जी गुणवत्ता केंद्र जिसकी वजह से यह संभव हुआ है । यह केंद्र महाराष्ट्र के किसानों के लिए एक आयडियल फार्मर्स सवर््िहस सेंटर बननेवाला है । बारामती के अॅग्रीकल्चरल डेव्हलपमेंट ट्रस्ट द्वारा संचलित कृषि विज्ञान केंद्र में इंडो – डच तंत्रज्ञान का सेंटर आॅफ एक्सलन्स यह भारतीय सब्जी की खेती को अलग दिशा एवं तंत्रज्ञान देनेवाला पहला केंद्र है ।

सब्जी की अलग-अलग जातियों और विविध प्रकार के उच्च गुणवत्ता के पौधो का उत्पादन उनका वितरण में यह केंद्र प्रमुख भूमिका अदा कर रहा है । इस केंद्र में फिलहाल टमाटर, सिमला मिर्च, ककडी, स्ट्राॅबेरी फसले ली जाती है । आनेवाले भविष्य में बिना मिट्टी की खेती का प्रयोग महत्त्वपूर्ण होनेवाला इसलिए उसके महत्व को विशद करने के लिए बिना मिट्टी की सब्जी और मिट्टी में उगाई गई सब्जी के फसलों का प्रदर्शन कर लिया गया । इन दोनों प्रकार की आधुनिक खेती में सब्जीयों विकास (वृध्दी) में पद्नेवाला अंतर उत्पादन एवं फलों के आकार में पडनेवाला अंतर और किड रोग की प्रतिबंधक क्षमता की भी जाॅंच किसान खुद करेंगे । इस केंद्र में उच्च तंत्रज्ञानयुक्त नर्सरी उपलब्ध है ।

टमाटर के मशाडो, लीटरटाॅम, सिल्वियाना, सवान्टीस, नोवारा के ़एस ़बी- 137, सिमला मिर्च की बचाटा, बंगी, इन्सस्पीरेशन, निमेलाईट, अल्मरांटी, अॅटीलांटी यह सब एक से बढकर एक जातियों महाराष्ट्र के किसानों तक पहुॅंचकर सब्जी उत्पाद में महाराष्ट्र के किसानो को स्वंयपूर्ण करने के लिए यह प्रकल्प एक महत्त्व पूर्ण प्रकल्प होनेवाला है । आज प्रतिवर्ष 25 लाख तक सब्जी के पौधे तैयार करने की प्रकल्प की क्षमता है । आनेवाले भविष्य में इस में किसानों की मांग के अनुसार इजाफा कर सकते है । इस प्रकल्प के माध्यम से पौधे की गुणवत्ता एवं उनका आयुर्मान बढाना उत्पाद के विकास के साथ उसकी रोगप्रतिकारक शक्ती बढाना इन सब बातों पर जोर दिया जायेगा । किसानों की सब्जी लगाने से सब्जी निकालने के बाद भी तंत्रज्ञान की सारी जानकारी एक ही जगह पर प्रदर्शन के साथ मिलेगी इस प्रकार की व्यवस्था प्रकल्प में की गई है ।