BIG NEWS: …तो देवेंद्र फड़नवीस को देना होगा इस्तीफा! क्या होगी आगे की प्रक्रिया ? जानें

मुंबई : समाचार ऑनलाइन – भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस और एनसीपी नेता अजीत पवार ने आज सुबह राजभवन पहुंचकर सभी को बड़ा झटका दिया है। आज राजभवन में फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। आज सुबह 8 बजे यह शपथ विधी समारोह हुआ था। राज्य में बदलते इन राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण लगातार पासे पलट रहे हैं. भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया गया है। यदि फडणवीस सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई, तो ऐसी स्थिति में सरकार को इस्तीफा देना पड़ सकता है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है.

अगली कानूनी प्रक्रिया क्या होगी?
बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को बेशक 30 नवंबर तक बहुमत साबित करने को कहा गया है। इस दिन विधानसभा का अध्यक्ष चुना जाएगा। यह अध्यक्ष सभी विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा। भाजपा के विरोध में तीनों दल संयुक्त रूप से अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारों का नामांकन करेंगे। इस चुनाव में, जिस पार्टी का उम्मीदवार चुना जाएगा, उसकी सरकार बनेगी। अगर इस दौरान बीजेपी को अध्यक्ष पद नहीं मिलता है, तो देवेंद्र फड़नवीस को इस्तीफा देना पड़ सकता है।

शपथ विधी हुई, लेकिन अब भी कानूनी दांवपेंच में फंस सकती है सरकार
देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री पद तथा राकांपा नेता अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. एनसीपी और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाने का दावा किया है। बताया जा रहा है कि अजीत पवार को पार्टी के 20 से 25 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि, उन्हें अजीत पवार के इस फैसले के बारे में कुछ नहीं पता था। इस दौरान उन्होंने दलबदल संबंधी कानून के बारे में भी बात कही है.

क्या है दल-बदल संबंधी कानून ?
साल 1985 के दौरान संविधान में संशोधन कर, दलबदल कानून पेश किया गया था। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 10 के अनुसार कानून है। इस कानून की आवश्यकता तब पैदा हुई थी, जब राजनीतिक नेताओं ने राजनीतिक हित के लिए दलबदल की राजनीती अपनानी शुरू कर दी थी। इस बदलाव के कारण अवसरवाद और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। इस बीच, जनता की राय का भी अनादर होने लगा था। इस लिए यह दलबदल कानून लाया गया.