मलावष्टब्ध कोई अकेली बीमारी नहीं है । लेकिन कई बीमारियों की पृष्टभूमि तैयार करने की वजह है । ऐसे में शुरुआत में मलावष्टब्ध अगर थोड़ा है तो लंबे समय तक रहने पर इसका परिणाम कई तरह की पाचन की गड़बड़ी या अन्य रूप में सामने आ सकता है ।
आर्युवेदानुसार सही तरीके से पचा हुआ भोजन आगे बढ़कर मलत्याग की प्रवृति को जन्म देता है । लेकिन केवल वर्णन किये गए गुदा गैस पुण्य गुणों से युक्त चल गुणों की कमी की वजह से आंत की क्रिया सही तरीके से नहीं हो पाती है और वात की वजह से मल शुष्क और मल आंत में चिपक जाता है । इसके बाद मलत्याग बेहद मुश्किल से अधिक ताकत लगाकर करना पड़ता है । इसकी वजह से सिरदर्द, पेट में दर्द, उल्टी, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा की शिकायत का सामना करना पड़ता है. लंबे समय तक यह समस्या रहने पर भगंदर, हर्निया, कोलायटिस , तेज़ सर्दी जैसी बीमारी घेर लेती है ।