आर्थिक तंगी के कारण स्टेट लेवल की खिलाड़ी को करना पड़ रहा है ‘यह’ काम…… 

गुड़गांव : समाचार ऑनलाइन – स्टेट लेवल अनु 14 साल की हॉकी खिलाड़ी अपना गुजरा चाय बेचकर कर रही है। राजीव नगर के किराय के मकान में माँ के साथ और 4 बहनें भी रहती है। माँ दिल की मरीज है। जब अनु  प्रैक्टिस के लिए जाती है तो माँ ही चाय की दुकान संभालती है। अनु के पिता  8 साल पहले ही लापता हो गए थे, जिनके बारे में अब तक कुछ भी पता नहीं लग पाया है।
2 वर्षों से हॉकी खेल रहीं अनु अब तक 4 स्टेट टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी हैं। अगले साल वहनैशनल क्वॉलिफाई करने की तैयारी में जुटी हैं। अनु जैकबपुरा सीनियर सेकंडरी स्कूल में 9वीं की छात्रा हैं। शाम में वह सिविल लाइंस स्थित नेहरू स्टेडियम के हॉकी ग्राउंड में प्रैक्टिस के लिए जाती है। 2 बहनों की शादी हो चुकी हैं, जिसके लिए मां ने कर्ज लिया था। करीब एक लाख रुपये का कर्ज 200 रुपये रोजना ईएमआई देकर चुका रही हैं। स्कूल और प्रैक्टिस के बाद अनु अपनी पुरानी दिल्ली रोड स्थित चाय की दुकान संभालती हैं। अनु के नहीं रहने पर दुकान की जिम्मेदारी उनकी मां संभालती है।

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बीमार रहती हैं मां, आ चुका है हार्ट अटैक 
अनु की मां सविता अक्सर बीमार रहती हैं। उन्हें एक बार हार्ट अटैक भी आ चुका है। सविता ने बताया कि उनकी 6 बेटियों में से अनु ने ही खेल में दिलचस्पी दिखाई। वह बिना थके स्कूल, दुकान और मैदान पर नियमित रूप से जाती हैं। सविता के पति 8 साल पहले उत्तर प्रदेश अपनी बहन के घर जा रहे थे, जहां से लापता हो गए। पति के लापता होने के बाद सविता ने गार्ड की नौकरी छोड़ दी और उनकी चाय की दुकान चलाने लगीं। अनु बड़ी हुईं तो अब दुकान की जिम्मेदारी उन पर है।
आर्थिक तंगी रोक न दे कदम 
अनु ने बताया कि बहनों की शादी और मां की बीमारी से काफी कर्ज हो चुका है। दुकान की कमाई से रोजाना कर्ज उतारने की भी कोशिश करती  है। 3 और बहनों की पढ़ाई के साथ घर का भी खर्च चलाना कई बार मुश्किल हो जाता है। आर्थिक हालात थोड़ा बेहतर हो जाएं तो खेल में भी उसकी तस्वीर जरूर दिखेगी। अनु का सपना देश के लिए खेलना है। इसके लिए रोजाना बगैर थके, बगैर रुके प्रैक्टिस जारी रहती है।
कोच की जुबानी… 
अनु के कोच अशोक कुमार ने बताया कि वह काफी मेहनती हैं। कभी छुट्टी नहीं लेती और समय पर प्रैक्टिस करने ग्राउंड में पहुंच जाती हैं। यही वजह है कि महज 2 वर्षों की मेहनत से स्टेट लेवल टूर्नामेंट तक का सफर तय किया। इसी तरह अनु मेहनत करती रहीं तो उनका नैशनल टीम का हिस्सा बनना तय है।