चुनाव परिणाम से इन नेताओं का चकराया सिर, ‘लाव रे वीडियो’ ‘48 सीटें जीतेंगे’

मुंबई, 23 मई समाचार ऑनलाइन – इस चुनाव नतीजे ने कुछ नेताओं की बोलती बंद कर दी है तो आने वाले कुछ घंटे में इन नेताओं का सिर जरुर चकरायेंगा।

शरद पवार : राजनीति का लंबा अनुभव रखने वाले नेता शरद पवार ने चुनाव परिणाम के अनपेक्षित होने की प्रतिक्रिया जाहिर की है। उनकी हालत ऐसी हो गई है कि न निगलते बन रहा है और न ही उगलते बन रहा है। मावल सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस के जीतने का दावा नहीं करने और इस पूरे मामले में सफाई देने का प्रयास किया।

शरद पवार ने कहा है कि पार्थ पवार के चुनाव मैदान में खड़े होने की वजह से मैने अपने कदम पीछे नहीं खींचे और मावल लोकसभा सीट से हमारी जीत होगी, ऐसी उम्मीद हमने कभी नहीं की।  लोकसभा चुनाव का परिणाम गुरुवार को घोषित हो गया। भाजपा को महाराष्ट्र सहित देशभर में जोरदार सफलता मिली है। इसके मद्देनजर पत्रकारों से बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि मैं इस परिणाम को दिल से स्वीकार करता हूं।

देश के लोगों ने नरेंद्र मोदी को देखकर भाजपा को वोट दिया है। हम राष्ट्रीय मुद्दे पर लोगों तक पहुंचने में असफल रहें। लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा और मित्र दलों के उम्मीदवार वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीतकर आए थे, लेकिन इस बार स्थिति ऐसी नहीं रही। भाजपा को बड़ी जीत मिली उसके बावजूद इस पर संदेह है। इससे पहले देश की जनता के मन में चुनाव आयोग या उसकी कार्यशैली को लेकर संदेह नहीं जताया गया था, लेकिन जीत तो जीत होती है। मैं इसे दिल से स्वीकार करता हूं। लेकिन इस असफलता को पीछे छोड़कर हम फिर से प्रभावी तरीके से लोगों से संपर्क करेंगे और जनाधार बढ़ाने पर ध्यान देंगे।

प्रकाश आंबेडकर : चुनाव परिणाम सामने आने से महज कुछ घंटे पहले महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटें वंचित बहुजन आघाड़ी के जीतने का दावा प्रकाश आंबेडकर ने किया था। इस परिणाम ने उनके बयान को गलत साबित कर दिया है। मूल रूप से बीजेपी की बी टीम के रूप में वह काम कर रहे थे। उनके उम्मीदवारों को मिले वोट से भाजपा विरोधी वोट में फूट पड़ गई और विकल्प के तौर पर आघाड़ी को इसका फायदा मिल गया। प्रकाश आंबेडकर और उनकी पार्टी को मतदाताओं ने खारिज कर दिया है।

राज ठाकरे  : लाव रे वीडियो जैसी नई शैली को पकड़कर नरेंद्र मोदी के विरोध में सड़क पर उतरे राज ठाकरे की हालत ऐसी हो गई है, कि वह न घर के रहे न घाट के। हजारों की संख्या में जुटी भीड़ के बीच राज ठाकरे ने राज्यभर में 10 सभाएं की थी। इन सभाओं में लोगों की अच्छी-खासी भीड़ जुटी। यह स्पष्ट हो गया है कि इसके बावजूद उनके मन में मोदी सरकार को लेकर सहानुभूति थी। इस भ्रम का कोई असर चुनाव परिणाम पर नहीं पड़ा है। लोगों के मन में सवाल था कि 2014 में मोदी की तारीफ करने वाले एकदम से विरोधी कैसे हो गए? इसका सीधा असर विपक्षी वोट पर पड़ा। राज ठाकरे की सभा को किस पार्टी का खुला और छिपे रूप में समर्थन था। यह बात सामने आने के बाद मतदाताओं ने उनके भाषण को केवल सुना लेकिन वोट नरेंद्र मोदी को ही दिया।