लोगों को पुलिस के पास जाना न पड़े ऐसी व्यवस्था देने पर जोर

पिंपरी चिंचवड़ के पहले पुलिस आयुक्त आरके पद्मनाभन का विश्वास
पिंपरी।  समाचार ऑनलाइन
आजादी की सालगिरह पर अस्तित्व में आये पिंपरी चिंचवड़ शहर के नए पुलिस आयुक्तालय के पहले पुलिस आयुक्त आरके पद्मनाभन ने गुरुवार को संवाददाताओं के साथ की गई बातचीत में यह विश्वास जताया कि, नए पुलिस आयुक्तालय के समक्ष भले ही असुविधाओं और मनुष्य बल के कमी की चुनौती है। मगर लोगों को पुलिस के पास जाने की बजाय पुलिस लोगों तक पहुंचे और उन्हें पुलिस थाने या चौकी में जाना ही न पड़े ऐसी व्यवस्था बनाने पर जोर देंगे। फील्ड पुलिसिंग और मोबाइल पुलिस और लोगों के बीच की दूरियां कम करने में अहम भूमिका निभाएगा, यह दावा भी उन्होंने कहा।

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हिंजवड़ी के भीषण ट्रैफिक जाम का खुद अनुभव लेने के बाद पुलिस आयुक्त ने शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार लाने की योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि, ट्रैफिक सुधार के लिए पुलिस की दो टीमें कार्यरत की जाएगी जिसमें से एक रॉंग साइड से आनेवाले और यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनचालकों को जागरूक बनाएगी। दूसरी टीम सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कार्रवाई करेगी। चलान काटने से ज्यादा लोगों को यातायात के प्रति अनुशासनबद्ध बनाने पर जोर दिया जाएगा। गौरतलब हो कि खुद पुलिस आयुक्त पद्मनाभन हिंजवड़ी की ट्रैफिक में फंसे रहे।
पुणे श्रमिक पत्रकार संघ द्वारा चिंचवड़ के ऑटो क्लस्टर में नए पुलिस आयुक्त के साथ वार्तालाप का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष राजेंद्र पाटिल, महासचिव पांडुरंग सांडभोर और उपाध्यक्ष रोहित आठवले मंच पर उपस्थित थे। एक सवाल के जवाब में पद्मनाभन ने कहा कि, पिंपरी चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय का कामकाज लोकाभिमुख बनाने पर जोर दिया जाएगा। लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास निर्माण होना जरूरी है, जब तक यह विश्वास हासिल नहीं होता तब तक लोग खुलकर बात नहीं करेंगे और पुलिस उनकी समस्याओं तक नहीं पहुंच पाएगी। पुलिस को लोगों के बीच पहुंचाने की एक वजह पुलिस से ज्यादा अपराधी ‘फिट’ होना भी है। हमारी पुलिस को सक्षम, सतर्क बनाकर लोगों के बीच भेजने पर उनमें विश्वास तो निर्माण होगा साथ ही अपराधियों की नकेल कसने में भी मदद होगी।
पहले चरण में चार से छह पुलिस कर्मियों की टीम चौक- चौक पर तैनात की जाएगी। दूसरे चरण में ये टीमें लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनेगी और उन्हें हल करेगी। पुलिस के दिखने भर से काफी समस्याएं दूर हो जाती है। यही बात ट्रैफिक के मामले में भी लागू होती है। फोन, मोबाइल लोगों और पुलिस के बीच की दूरियों को कम करने में सहायक होंगे। कॉल के तुरंत बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंच कर दखल दे तो लोगों में विश्वास दृढ़ बनेगा और फिर उनके रूप में ‘इनविजिबल’ पुलिस शहर में कानून व्यवस्था बनाये रखने में भी अपना योगदान देंगे। इसका असर क्राइम डिटेक्शन पर नजर आएगा। पूरी क्षमता के साथ पुलिस आयुक्तालय का कामकाज शुरू होने के बाद ऐसे कई उपक्रम और योजनाओं को अमल में लाया जाएगा। इसके बारे में अभी बोलना ठीक न होगा, क्योंकि हमारा बोलने से ज्यादा कर दिखाने में ज्यादा विश्वास है।