वृद्धाश्रम में सुविधाएँ बढ़ें, वृद्ध नहीं – इंस्पेक्टर राउत

पुणे : समाचार ऑनलाईन – हम अपने लोगों के सामने झुकना पसंद नहीं करते लेकिन परायों के सामने झुकने को तैयार हो जाते हैं। जबकि यदि घर-परिवार में ही जहाँ टकराव हो, वहाँ दोनों ओर से समन्वय के लिए झुक जाने की भी तैयारी हो जाएँ तो समाज में वृद्धाश्रमों की ज़रूरत न रहे। यह कहना था लोणीकंद थाने के पुलिस इंस्पेक्टर श्री राउत का। वे फुलगाँव के वरिष्ठ नागरिकों के घर की तरह जाने जाते जाणीव वृद्धाश्रम में आयोजित एक दिवसीय वरिष्ठ नागरिक आनंद मेला में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे।
प्रकृति के सानिध्य में बने इस वृद्धाश्रम में आनंद मेला आयोजित किया गया था। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि वृद्धों की आवश्यकता समाज को हमेशा से रही है और रहेगी, वृद्धाश्रम में सुविधाएँ बढ़े पर वृद्ध न बढ़े तो अधिक बेहतर है। अपने बेटे के लिए जिस बहू को खोज-परख कर लाया जाता है, उसके बाद बेटा उसके साथ ज्यादा समय बिताने लग जाए तो हमें दिक्कत होती है। पर तब हम यह नहीं सोचते कि हमने बेटे की शादी ही इसलिए की थी कि वे दोनों आगे का जीवन साथ-साथ बिता सकें। कानूनन पुत्र को अपने वृद्ध माता-पिता को अपने साथ रखना आवश्यक है। कई ऐसा नहीं करते और हमारे पास ऐसे कई मामले आते हैं लेकिन हम दोनों पक्षों को समझाइश देकर बात आगे बढ़ने नहीं देते।
जाणीव के अध्यक्ष सुनील रायसोनी ने भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए इसे भी रेखांकित किया कि जाणीव में कभी वृद्धों की संख्या अधिक नहीं होती क्योंकि हम यहाँ आने वाले वृद्धों का तथा उनके परिवारजनों का बाकायदा साक्षात्कार लेते हैं और हमारी कोशिश होती है कि वे अपने परिवार के साथ लौट जाएँ। जाणीव का परिचय और आयोजन की भूमिका के बारे में हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक और जाणीव के ट्रस्टी संजय भारद्वाज ने बताया कि देखने और दृष्टि में जो अंतर है उसे जाणीव में आकर पाया जा सकता है। एकल परिवारों की बढ़ती समस्या पर आज से तकरीबन 26 साल पहले छह गृहणियों ने विचार किया और जाणीव को बुजुर्गों के घर की तरह ही आकार दिया। वरिष्ठ नागरिकों की मानसिक समस्याएँ इस विषय पर वरिष्ठ मनोविश्लेषक रोहिणी पटवर्धन ने प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में तभी संतुलन रह सकता है जब इसके घटक सदस्यों का शारीरिक, आर्थिक, सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है। वरिष्ठ नागरिक और क्षमाशीलता पर प्राणिक हीलिंग के लिए जानी जाती सुमन कांकरिया ने विचार व्यक्त किए। पूर्व असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर शरद अवस्थी ने भी मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर बंडा जोशी का हास्य  कार्यक्रम ‘हास्यपंचमी’ भी हुआ।  कुछ पुराने गीतों की नृत्य के साथ प्रस्तुति- ‘यादों के झरोखे से’ कृतिका भारद्वाज ने दी।
इस प्रथम सत्र का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। जाणीव की नींव रखने वाले बंसीलाल (भाऊसाहेब) रायसोनी और प्रदीप रायसोनी की तस्वीरों पर माल्यापर्ण किया गया। मंच पर ट्रस्टी अमिता शाह, वीनु जमुआर, शोभा वोरा, एवं कल्पना रायसोनी भी उपस्थित थे। अतिथियों का सम्मान मानचिह्न देकर किया गया। भोजनावकाश के बाद दूसरे सत्र का आयोजन किया गया। लोकमान्य हास्य योग संघ परिवार पुणे के डॉ. सुभाष देसाई एवं उनके सहयोगियों ने हास्य योग का प्रदर्शन किया। इसी के साथ कई वरिष्ठ नागरिकों ने अपने कलागुणों का प्रदर्शन किया। तदुपरांत 1960 के दशक के लोकप्रिय फिल्मी गीतों का ऑर्केस्ट्रा ‘सदाबहार नगमे’ की प्रस्तुति ऊर्जा वाइकर एवं साथियों ने दी। इसका आस्वाद वरिष्ठ समाजसेवी कांतिलाल बालडोटा, प्रकाश बालडोटा, कन्हैयालाल बालडोटा, प्रवीण संचेती, अनुराग राहा सहित कई गणमान्य अतिथियों ने लिया। प्रथम सत्र का संचालन विनीता गुंदेचा एवं द्वितीय सत्र का संचालन स्वरांगी साने ने किया। आभार कल्पना रायसोनी ने माना।