करंट लगने से मौत हुई शख्स के परिवारजनों को अबतक नहीं मिला मुआवजा

पुणे : समाचार ऑनलाइन ( गुणवंती परस्ते ) – पुणे के दांडेकर पुल के पास एक शख्स की करंट लगने की मौत हो गई थी। इस घटना से शख्स के चार बच्चे अनाथ हो गए, पिछले 6 महीने से उनका परिवार मुआवजा के लिए चक्कर काट रहा है, पर उन्हें अबतक मुआवजा नहीं मिला है। ऐसा आरोप आरटीआई कार्यकर्ता भरत सुराणा ने लगाया है। साथ ही उन्होंने बताया कि यह हादसा महावितरण के लापरवाही के चलते हुआ है। इसके बावजूद महावितरण अपनी गलती मानने के बजाय चंद रुपए देकर मामले को रफा दफा करना चाहती है। जिसके सहारे पूरा घर चलता था, उसकी जान जाने के बाद महावितरण की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों के भविष्य को देखकर उन्हें बड़ी रकम मुआवजा के रुप में दी जाए। महावितरण द्वारा मुआवजा देने को लेकर टालमटोल किया जा रहा है और साथ ही मृतक ही गलती बताकर उसे दोषी ठहराया जा रहा है। मृतक डीपी तक कैसे पहुंचा, वह वहां किस उद्देश्य से गया था, इस तरह के सवाल उठाकर मृतक शख्स पर अंगुलियां उठायी जा रही है, जिसके चलते उनके बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ गई है। उनके पालन पोषण के लिए काफी दिक्कत आ रही है। बच्चों के चाचा उन्हें पाल रहे हैं, पर चाचा के पांच बच्चे हैं। ऐसे में चार बच्चों की जिम्मेदारी संभालना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। चाचा एक टेम्पो ड्राइवर है, उनकी कमाई इतनी नहीं है कि वह 9 बच्चों को अकेला संभाल सकें।
मृत के बड़े भाई भरत कांबले ने बताया कि 15 जून को मेरे छोटे भाई बापू मेसा कांबले की पर्वती पायथा निलायम पुल स्थित चैतन्य हॉस्पिटल के पास से काम से सिलसिले से जा रहे थे, डीपी के दरवाजा पर हाथ लगने से उनकी मौत हो गई थी। भरत कांबले ने बताया कि हमने आरटीआई कार्यकर्ता की मदद से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी, महावितरण की रिपोर्ट में ऐसा लिखा कि फिडर पिलर में आज तक लॉक लगाया गया नहीं था, संबंधित घटना यह संबंधित अधिकारी की लापरवाही के चलते हुई है। महावितरण खुद अपनी ही रिपोर्ट की अनदेखी कर मामला दबाने की कोशिश कर रहा है और दत्तवाडी पुलिस स्टेशन भी इस मामले में किसी भी तरह की शिकायत दर्ज नहीं कर रही है। मैं इतना नहीं कमाता हूं कि 9 बच्चों को पाल सकूं। बच्चों के पिता के जाने के बाद बच्चों के सिर से उनका सहारा छीनने वाली महावितरण विभाग इस मामले को नजरअंदाज कर रही है।
दत्तवाडी पुलिस स्टेशन ने शिकायत दर्ज करने से किया इंकार
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि हम लगातार इस मामले में शिकायत दर्ज करने को लेकर पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहे हैं। पर दत्तवाडी पुलिस स्टेशन पीड़ित के परिवारजन पर समझौता करने का दवाब बना रही है और उल्टे सीधे जवाब देकर मामला दबाने की कोशिश कर रही है। जबकि पहले पुलिस ने ही आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया था, जिसमें साफ लिखा  था कि महावितरण की लापरवाही के चलते यह मौत हुई है, उसके बाद एफआईआर दर्ज करने के लिए आनाकानी की जाने लगी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद एफआईआर दर्ज करेंगे। ऐसा कहा गया था लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ लिखा है कि मृत के पेट में अल्कोहल नहीं पाया गया है, ऐसा आरटीआई कार्यकर्ता भरत सुराणा ने कहा।
महावितरण के अधिकारी दराडे ने बताया कि इस घटना में मृत हुए व्यक्ति के परिवार के साथ हमारी पूरी सहानभूति है। पर यह हादसा महावितरण की लापरवाही के चलते नहीं हुआ है। डीपी में सुरक्षा जाली लगी हुई है और साथ ही दोनों दरवाजे भी बंद थे। यह शख्स डीपी के पास क्या कर रहा था, ऐसा सवाल उठ खड़ा हुआ। उसके बावजूद हम परिवार को 4 लाख रुपए मुआवजा देने को तैयार है, पर परिवार 4 लाख रुपए मुआवजा के बदले ज्यादा मुआवजा मांग रहा है, जबकि हमारे नियम के अनुसार हम मृत व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपए देते हैं। अगर वह मुआवजा की रकम ज्यादा चाहते हैं तो वह कोर्ट में केस कर सकते हैं।
दत्तवाडी पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक इंदलकर ने कहा कि सड़क से काफी दूरी पर महावितरण का डीपी है, वहां यह शख्स क्यों गया था। डीपी के दरवाजे बंद थे, उसने वह दरवाजे कैसे खोले। शख्स वहां किस काम से गया। महावितरण द्वारा शख्स को किसी तरह का काम नहीं बताया गया था। तो वह शख्स वहां क्या कर रहा था। इस तरह के सवाल खुद पुलिस निरीक्षक इंदलकर ने उठाए हैं और कहा कि महावितरण विभाग की कोई गलती नहीं है। इस मामले में किसी भी तरह का केस नहीं बनता है, इसलिए शिकायत दर्ज नहीं की गई है।