एचपी गैस पाइप लाइन बिछाने का किसानों द्वारा तीव्र विरोध

मुआवजे की रकम दो लाख तक करने की मांग
मावल : समाचार ऑनलाइन – पहले से ही खेती के लिए अच्छे दिन नहीं चल रहे. ऐसे में अगर खेतों की जमीन से गैस पाइप लाइन बिछा दिया जाए तो इससे खेतों को लंबे समय तक के लिए नुकसान हो सकता है. मावल तहसील के आंबले में किसानों ने गैस पाइप लाइन डालने का तीव्र विरोध किया है. तहसील में खेती लायक जमीन कम होती जा रही है. ऐसे में इस पाइप लाइन से आंबले परिसर के कई किसानों की उपज पर इसका असर पड़ेगा. किसानों ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी परिस्थिति में खेतों से होकर गैस पाइपलाइन नहीं गुजरने देंगे.

इस संदर्भ में आंबले में प्रांत अधिकारी सुभाष बागड़े ने एचपी कंपनी के अधिकारियों और आंबले के ग्रामीणों के बीच मध्यस्थता के लिए गांव का दौरा कर चर्चा की. इस दौरान पंचायत समिति के उपसभापति शांताराम कदम, सरपंच मोहन घोलप, उपसरपंच नवनाथ मोढवे, सीताराम आंभारे, शंकर आंभोरे-पाटिल, बंडू घोजगे, दत्तात्रेय वायकर, समीर दाभाड़े, शिवाजी कदम, नवनाथ कदम, गिरीश नामजोशी व विट्ठल कदम   सहित अन्य किसान उपस्थित थे.

उरण से शिक्रापुर के बीच प्रस्तावित गैस पाइप लाइन का काम जारी है. फिलहाल मावल तहसील के सावला से निगड़े के बीच काम चल रहा है. लेकिन बगल के आंबले गांव के किसान पाइप लाइन डालने का तीव्र विरोध कर रहे हैं. इस संदर्भ में आयोजित बैठक में किसानों ने अपनी बात प्रांत अधिकारी के समक्ष रखी. उन्होंने कहा कि खेत में पाइप लाइन डालने से 10 एकड़ खेती का स्थायी रूप से नुकसान होगा. यह नुकसान टालना संभव है. यह पाइपलाइन पास के वन विभाग की जमीन से सटे किसानों की बांध की सीमा से ले जाने पर नुकसान नहीं होगा.

सरकार द्वारा तय की गई 63 हजार रुपए प्रति गुंठा की रकम किसानों के साथ मजाक है. उप सभापति शांताराम कदम ने कम से कम दो लाख रुपए प्रति गुंठा मुआवजा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि उचित मुआवजे के बिना खेत से पाइप लाइन नहीं जाने देंगे. इसका किसान तीव्र विरोध करेंगे. यह ध्यान रहे कि कंपनी अगर किसी दवाब का इस्तेमाल नहीं करती है तो किसानों का नुकसान नहीं होगा. प्रांत अधिकारी ने इस संबंध में दिवाली बाद रास्ता निकलने के संकेत दिए हैं.