मंदड़ियों की गिरफ्त में चना, उत्पादन में गिरावट की आशंका

नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)| चने के भाव में पिछले कुछ दिनों से मंदी छायी रही है, जबकि चालू रबी सीजन में बुआई कम होने और देश के कुछ इलाकों में सूखे की वजह से फसल कमजोर बताई जा रही है। दलहन बाजार के जानकारों की माने तो चने का बाजार मंदड़ियों की गिरफ्त में है, इसलिए कीमतों में गिरावट देखी जा रही है।

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि बाजार में सट्टेबाज सक्रिय हैं और वे बाजार पर अपनी पकड़ बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सट्टेबाजी के कारण ही चने के भाव में गिरावट आई है, और कोई वजह नहीं है।

वहीं, दलहन बाजार विश्लेषक मुंबई के अमित शुक्ला का भी कुछ ऐसा ही मानना है। शुक्ला ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “वर्तमान में चना मंदड़ियों की गिरफ्त में है। बीते 2-3 दिनों में चने का भाव वायदा बाजार में 200 रुपये तक टूट गया है। वायदा भाव घटाकर हाजिर में माल पकड़ने की कोशिश में सटोरिये जुटे हुए हैं। दिल्ली में चना का भाव 4400-4500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है। हालांकि ज्यादा मंदी की गुंजाइश नहीं है।”

उन्होंने कहा, “चालू रबी बिजाई सीजन में चने की बिजाई गतवर्ष से कम हुई है। दूसरी ओर महाराष्ट्र व कर्नाटक में सूखे की वजह से फसल कमजोर है।”

उन्होंने कहा कि प्रमुख चना उत्पादक राज्य राजस्थान में किसानों ने सरसों की बिजाई में अधिक दिलचस्पी ली है, जबकि अन्य राज्यों में जमीन में नमी की कमी होने से चने की बिजाई कम हुई।

देश में 21 दिसंबर तक 89.36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना की बिजाई हुई जबकि गत वर्ष समानावधि में 98.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना की बिजाई हुई थी। इस प्रकार, चना का रकबा पिछले साल के मुकाबले 9.19 फीसदी कम है।

सुरेश अग्रवाल ने कहा कि उत्पादन में भी पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 10 फीसदी कमी आ सकती है।

अग्रवाल ने बताया कि फरवरी में चने की आवक शुरू हो जाएगी और नई फसल आने से पहले अभी देश में करीब 17-18 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नेफेड के पास करीब 14-15 लाख टन चना का स्टॉक है, जबकि किसानों के पास करीब एक से डेढ़ लाख टन और व्यापारियों के स्टॉक में भी तकरीबन एक लाख टन चना बचा हुआ है।

हालांकि कुछ बाजार विश्लेषक बताते हैं कि इस साल 68-70 लाख टन चने का उत्पादन हो सकता है, जबकि पिछले साल चने का उत्पादन 95-100 लाख टन रहने का अनुमान था।

शुक्ला ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में चना की पैदावार कम होने व भारत द्वारा चना आयात पर शुल्क लगाने से आयात होने की बहरहाल संभावना कम है। वहीं, मटर का आयात भी कम रहने की आशंका है। जिससे चना की भारी शार्टेज देखी जा सकती है। नेफेड चना की बिक्री धीमी गति से कर रही है।

अग्रवाल हालांकि कहते हैं कि चने का भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर जाने पर आस्ट्रेलिया से आयात शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार 31 दिसंबर तक मटर के आयात पर लगे प्रतिबंध पर भी फैसला ले सकती है। अगर यह प्रतिबंध हटाया जाता है तो कनाडा और दूसरी जगहों से मटर का आयात शुरू हो जाएगा।

गौरतलब है कि मटर का उपयोग चने के बदले होने के कारण मटर की आमद बढ़ने से चने के भाव में गिरावट आती है।

बाजार विश्लेषक बताते हैं ट्रेडिंग समय के विरोध में कम सौदे होने से भी चना के भाव में गिरावट आई है। शुक्ला ने कहा कि सट्टेबाज और बड़ी कंपनियां चाहती हैं कि बाजार में चने की घबराहटपूर्ण बिकवाली हो जिससे वह अधिक से अधिक मात्रा में चना खरीद सकें।