समाचार ऑनलाइन- गुजरात के गोधरा में 27 फ़रवरी 2002 को मुस्लिम समुदाय द्वारा एक कारसेवकों से भरी रेलगाड़ी में आग लगा दी गई थी, जिनमें 59 यात्री मारे गए. इस आगजनी में घायल हुए और मारे गए अधिकतर लोग हिंदू थे. इसके बाद पूरे गुजरात क्या, पूरे देश का माहौल संवेदशील हो गया था. कई जगहों पर दंगे भड़के, इंसानों को जानवरों की तरह मार दिया गया. हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे. आज उसी गुजरात दंगे की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई है.
इस केस की जाँच के लिए गठिन नानावटी आयोग ने आज रिपोर्ट का दूसरा भाग विधानसभा में पेश किया है. इसके पहले आयोग ने सितंबर 2008 में गोधरा कांड पर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट का महत्वपूर्ण निकाल यह रहा है कि, इसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी गई.
मुस्लमानों द्वारा इस कृत्य को करने के बाद मोदी ने हिंदुओं को मुसलमानों से बदला लेने के लिए उकसाया था. इसके बाद दंगे ज्यादा भड़क गए थे. इस तरह के कई गंभीर आरोप नरेंद्र मोदी पर लगे थे.
बता दें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति जीटी नानावटी की अध्यक्षता में गोधरा कांड की जाँच करने के लिए 3 मार्च 2002 को एक आयोग का गठन किया था. न्यायमूर्ति केजी शाह आयोग के दूसरे सदस्य थे। साल 2009 में शाह के निधन के बाद अक्षय मेहता को सदस्य बनाया गया।
शुरुआती रिपोर्ट में आयोग ने बताया था कि साबरमती एक्सप्रेस की बोगी संख्या-छह में सुनियोजित साजिश के तहत आग लगाई गई थी.
The Nanavati-Mehta Commission report part 2 on #Godhra train incident has been tabled in Gujarat Assembly.
— ANI (@ANI) December 11, 2019