जाति अंत की क्रांति के लिए बसवण्णा के विचारों की ओर चलें

पुणे : समाचार ऑनलाईन – बसव समिति बंगलुरू द्वारा आयोजित विश्वगुरू महात्मा बसवेश्वर संदेश यात्रा का उद्घटन रविवार को पुणे में हुआ। इस समय विद्रोही सांस्कृतिक आंदोलन की अध्यक्षा प्रतिमा परदेशी ने कहा कि अगर 21 वीं सदी में जाति अंत की क्रांति करनी है तो हमंे महात्मा बसवण्णा के विचारों की ओर चलना होगा।

समाजसुधारक, क्रांतिकारक, समतानायक, लोकतंत्र के जनक महात्मा बसवण्णा के विचारों का प्रसार करने हेतु बसव समिति बंगलुरू के अध्यक्ष अरविंद अण्णा जत्ती के नेतृत्व में पुणे से बंगलुरू तक संदेश यात्रा का आयोजन किया गया है जिसका उद्घटन रविवार को पुणे के बाजीराव मार्ग स्थित बसवण्णा की प्रतिमा को पुष्पहार अर्पित कर किया गया। उक्त संदेश यात्रा महाराष्ट्र के 22 जिलों से होकर गुजरेगी। 16 जून को कोल्हापुर में यात्रा का समापन होगा। उसके बाद यात्रा बंगलुरू की ओर निकलेगी।

संदेश यात्रा के उद्घटन समय प्रतिमा परदेशी ने कहा कि 12 वीं सदी में महात्मा बसवण्णा ने समाज में समता, स्त्री सम्मान, जाति अंत का महान कार्य किया। 21 वीं सदी में अगर जाति अंत की क्रांति करनी है तो महात्मा बसवण्णा के विचारों की ओर चलना होगा। उनका अनुकरण करना होगा। उनके विचार महज एक जाति, धर्म के लिए सीमित नहीं है बल्कि समाज के सभी के लिए अनुकरणीय है।

समारोह में उपस्थित पूर्व विधायक उल्हास पवार ने कहा कि विचारकों की भीड़ में महात्माओं के विचारों की यात्रा का महत्व आचरण से ही बयां होगा। इसलिए इस यात्रा से महात्मा बसवण्णा के विचारों का आचरण करने की प्रेरणा मुझ में आएं ऐसी अपेक्षा है।

समारोह में शिवानंद महाराज, लिंगायत संघर्ष समिति के सुनील रूकारी, लिंगायत संघर्ष समिति के अध्यक्ष काकासाहब कोयटे, विश्वेश्वर बैंक के चेअरमन अनिल गाड़वे, बसव ब्रिगेड संगठन के अध्यक्ष अविनाश भोशिकर, पार्षद हेमंत रासने तथा सैंकड़ों बसव अनुयायी उपस्थित थे।