कितने दिनों तक मुख्यमंत्री रहेंगे कमलनाथ?

भोपाल: समाचार ऑनलाइन – मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने सरकार तो बना ली, लेकिन मंत्रालयों को लेकर खींचतान अभी भी जारी है। शपथ ग्रहण के 48 घंटे बाद भी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं किया जा सका है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह मलाईदार विभागों पर कब्जे की कवायद है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देख रहे हैं, लेकिन बागी कांग्रेसी मानने को तैयार ही नहीं हैं। उधर, निर्दलीय और सपा-बसपा के विधायकों ने अलग से मुख्यमंत्री कमलनाथ का सिर दर्द बढ़ा रहा है। कांग्रेस के इस हाल को देखकर अब लोग पूछने लगे हैं कि कमलनाथ कितने दिनों तक मुख्यमंत्री रहेंगे?

वहीं, भाजपा को कांग्रेस पर कटाक्ष करने का मौके मिल गया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जो दल सरकार बनाने के इतने दिनों तक विभागों का बंटवारा नहीं कर पाया, तो प्रदेश को कैसे चलाएगा? पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी कांग्रेस और कमलनाथ पर तंज कसा है। चौहान ने चुटकी लेते हुए कहा कि गुटबाजी के बीच मंत्रिमंडल का गठन तो हो गया। किस गुट के कितने मंत्री बने, यह भी तय हो गया, लेकिन अब विभागों का बंटवारा तो मुख्यमंत्री की इच्छा के अनुरूप होना चाहिए, क्योंकि यह उनका विशेषाधिकार है।

उन्होंने आगे कहा कि गुटबाजी के आधार पर ख़ास लोग मंत्री बन गए, लेकिन अब विभागों के लिए मारामारी ठीक नहीं है। कांग्रेस नेता अपने मंत्रियों के लिए मनपसंद विभाग क्यों चाह रहे हैं? काम करना है तो किसी भी विभाग में बेहतर काम किया जा सकता है, पसंद के विभाग के लिए दबाव बनाना शुभ लक्षण नहीं हैं।

केवल शिवराज ही नहीं कांग्रेस समर्थक भी यह मान रहे हैं कि मौजूदा विवाद न केवल पार्टी की छवि ख़राब कर रहा है, बल्कि इससे सरकार के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं उनका कहना है कि यदि आगे भी इसी तरह का रूठना-मानना चलता रहा, तो जनता कांग्रेस को वोट देने में दिलचस्पी नहीं दिखाएगी एक वरिष्ठ नेता ने कहा, कांग्रेस लंबे समय के बाद सत्ता में आई है, ऐसे में उसकी सरकार को तुरंत हरकत में आ जाना चाहिए था अगले साल लोकसभा चुनाव हैं, यदि इसी तरह कांग्रेसी विभागों और ‘अपनों’ को प्रमोट करने के लिए लड़ते रहे, तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है जनता ऐसी पार्टी को वोट देना कतई पसंद नहीं करेगी, जिसके नेता आपस में ही उलझे रहते हैं