इन वजहों से कांग्रेस-आप में फेल हुआ गठबंधन!

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – दिल्ली में लोकसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच होने वाले गठबंधन फेल हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने साफ़ कर दिया है कि कांग्रेस ने दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। वहीं आप ने पहले ही लोकसभा चुनावों के लिए अपने 6 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस-आप में फेल हुए गठबंधन की कई वजह सामने आ रही है।

फंस रहा था सीटों पर पेंच –
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में सबसे बड़ा पेंच उम्मीदवारों को लेकर भी था। कांग्रेस में अजय माकन, शीला दीक्षित, कपिल सिब्बल, संदीप दीक्षित, जय प्रकाश अग्रवाल, शर्मिष्ठा मुखर्जी, महाबल मिश्रा, मीरा कुमार जैसे प्रमुख चेहरे हैं। वहीं आम आदमी पार्टी छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। आप ने नई दिल्ली संसदीय सीट से बृजेश गोयल को कैंडिडेट बनाया है। ईस्ट दिल्ली से आतिशी मर्लिना, नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से दिलीप पांडेय, साउथ दिल्ली से राघव चड्ढा, चांदनी चौक से पंकज गुप्ता और नॉर्थ वेस्ट दिल्ली से गुगन सिंह को उम्मीदवार बनाया है। अब अगर गठबंधन होता तो साफ था कि आप के तीन उम्मीदवारों के टिकट कटेंगे। वहीं नई दिल्ली जैसी सीट पर आप और कांग्रेस के बीच लगातार तकरार की स्थिति बनी हुई थी।

अकेले लड़ने के पक्ष में शीला –
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने हाल के कई बयानों में कहा था कि कांग्रेस दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी। पार्टी कार्यकर्ता और नेता भी अकेले चुनाव लड़ने की ही वकालत कर रहे थे, लेकिन आप की तरफ से लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि गठबंधन न होने से बीजेपी को फायदा है। रिपोर्ट के अनुसार आप ने ये भी ऑफ़र दिया था कि दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन किया जा सकता है। जिसके तहत 13 सीटों में से आप ने 4 सीटों पर लड़ने की इच्छा जताई है और बाकी सीटें उसने कांग्रेस के लिए छोड़ने का प्रस्ताव दिया था।

राहुल को फायदा –
दूसरी तरफ राहुल अगर आप को गठबंधन के लिए मना लेते तो दिल्ली में उनकी कद्दावर नेता शीला दीक्षित के साथ-साथ पार्टी की भी छवि भी अपने आप ही बहाल हो जाती। जिस पार्टी ने शीला को करप्शन के आरोपों के दम पर सत्ता से बहार किया था वही उसके साथ चुनावी प्रचार करती नज़र आती। इसके अलावा 2015 में कांग्रेस का जो वोटबैंक आप के खाते में गया था उसका भी बड़ा हिस्सा वापस लौट सकता था, इसका सीधा नुकसान केजरीवाल को जबकि फायदा राहुल को होना था।

बीजेपी भी फायदे में –
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी लगातार ये कह रहे है कि कांग्रेस-आप के साथ आने से दिल्ली में उनकी सात सीटें फिर से पक्की हो रही हैं। बीजेपी का मानना है कि इस गठबंधन से ‘आप’ का एकमात्र मुद्दा करप्शन से लड़ाई भी ख़त्म हो जाएगा और कांग्रेस के दाग उसके दामन का भी हिस्सा बन जाते। उधर बीजेपी आईटी सेल सोशल मीडिया पर पहले ही इस गठबंधन को लेकर केजरीवाल के खिलाफ माहौल बनाने के लिए तैयार बैठा था। ऐसे में इसका सीधा नुकसान आप की छवि को हो रहा था और कांग्रेस के पास दिल्ली में खोने के लिए फिलहाल कुछ है नहीं इसलिए उसने गठबंधन को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखाई।