रंग लाई अनुसूचित जाति के आरक्षण में चार प्रवर्ग निर्मिति की कोशिशें

पुणे : समाचार ऑनलाइन – अनुसूचित जाति के आरक्षण में अ,ब, क, ड ऐसे चार प्रवर्ग निर्माण करने को लेकर की जा रही मांग और संघर्ष को सफलता मिली है। माह भर में सर्वोच्च न्यायालय से इसके फैसले की उम्मीद है। पिंपरी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी देते हुए भूतपूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मण ढोबले ने विश्वास जताया कि इस नीति से अनुसूचित जाति के लाखों परिवारों को लाभ मिलेगा।

प्रो ढोबले ने उक्त मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इसकी जानकारी देने हेतु आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अजित केसरालीकर, अजय सालुंखे, वसुंधरा वूमन्स फाउंडेशन की संस्थापिका कोमल सालुंखे, लोकशाहीर अण्णा भाऊ साठे आर्थिक विकास महामंडल के अध्यक्ष अमित गोरखे, अनिल सौंदडे, महेश खिलारे आदि उपस्थित थे।

पूर्व मंत्री ने कहा कि, अनुसूचित जाति प्रवर्ग के उपेक्षित, दिनदुबले, वंचितों को विकास के प्रवाह में लाने के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान है। अनुसूचित जाति में 59 जातियों का समावेश है। करीबन एक करोड़ 32 लाख की आबादी के लिए 13 फीसदी आरक्षण उपलब्ध है। इस आबादी में आधी संख्या बौद्ध समाज है और बची हुई आबादी में आठ जातियां शामिल है। अनेक अनुसूचित जातियों के समाज घटकों ने जाति वार आरक्षण की मांग की है।

आरक्षण जाति पर नहीं समूह पर होता है, इसे ध्यान में रख स्वर्गीय गोपीनाथ मुंढे ने घुमंतू जातियों में प्रवर्ग निर्माण किया। इसी तरह से आबादी के प्रमाण में पिछड़े वर्गों के लिए अ,ब, क, ड ऐसे चार प्रवर्ग बनाने की मांग देश के अलग- अलग राज्यों से की जा रही है। महाराष्ट्र में गत 20 सालों से इसके लिए संघर्ष जारी है। गत दो सालों की कोशिशों के बाद इस मांग के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर हो सकी। 4 नवंबर को हमारा पक्ष जाना गया। अब माह भर के भीतर इसकी सुनवाई की उम्मीद है।