नई दिल्ली। समाचार ऑनलाइन
देश की सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि दिल्ली में जिन प्राइवेट अस्पतालों को सरकार से सस्ती दरों पर जमीनें उपलब्ध हुई हैं उन्हें गरीबों का इलाज मुफ्त में करना होगा। ऐसे में अस्पतालों को ओपीडी में 25 फीसदी जबकि आईपीडी में 10 फीसदी तक मुफ्त इलाज करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा न करने पर इसे अवमानना माना जाएगा।
आदेश न मानने पर लीज रद्द हो सकती है
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों पर सख्त रुख अपनाते हुए यह भी कहा कि अगर कोई अस्पताल तय मानकों के अनुसार मुफ्त उपचार देने से मना करता है तो उसकी लीज रद्द की जा सकती है। गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने एक अपील दायर की थी, जिस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।