पालकमंत्री ने निकाली स्थानीय नेताओं के श्रेयवाद की ‘हवा’

पिंपरी। संवाददाता : पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण (पीसीएनडीटीए) के क्षेत्र पर हुए अवैध निर्माणकार्यों के नियमितीकरण और बाधित किसानों को साढ़े 12 फीसदी जमीन वापसी के मसले पर मुख्यमंत्री ने अहम घोषणा की है। इस पर ये मसले हल होने का दावा करते हुए सत्तादल भाजपा में श्रेयवाद की लड़ाई चल रही है। मगर इसी बीच शहर में पधारे जिले के पालकमंत्री व राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने मुख्यमंत्री के राहत देनेवाली घोषणाओं और स्थानीय नेताओं के श्रेयवाद की ‘हवा’ ही निकाल दी। 44 साल बाद जमीन लौटाना संभव है क्या, 1974 साल के किसान आज हैं क्या? जैसे सवालों की झड़ियां लगाकर पालकमंत्री ने प्रशासन और सत्तादल के स्थानीय नेताओं को बेज़ार से कर दिया।
पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता में आज सुबह पिंपरी चिंचवड नवनगर विकास प्राधिकरण (पीसीएनटीडीए) और पुणे महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) के कामकाज का समीक्षा बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में पाटिल ने प्राधिकरण द्वारा कितने आवासों का निर्माण किया, कितने प्लॉट बेचे, प्राधिकरण की संपत्ति पर किसका नियंत्रण है आदि जानकारी हासिल की। इसके बाद उन्होंने सवाल उठाए कि, प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित जमीन का मुआवजा अब क्यों दिया जाय? 44 साल बाद यह संभव है क्या, 1974 के किसान अभी हैं क्या, इसका लाभ किसे मिलेगा, तब वे किसान कोर्ट क्यों नहीं गए, जिन्हें जमीन लौटाई जाएगी वे उसका क्या करेंगे?

मुख्यमंत्री ने साढ़े 12 फीसदी जमीन लौटाने के मसले पर सवा छह फीसदी जमीन और सवा छह एफएसआई देने की घोषणा की है। मगर इसके मिनट्स (सभावृत्तांत) अभी तक प्राधिकरण को नहीं मिले हैं। इसे मंत्रिमंडल की मान्यता लेनी भी जरूरी है, यह भी राजस्व मंत्री पाटिल ने स्पष्ट किया। इस बैठक में भाजपा शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप, विधायक महेश लांडगे, पीसीएनटीडीए के अध्यक्ष सदाशिव खाडे, राज्य लेखा समिति के अध्यक्ष एड सचिन पटवर्धन, अण्णा भाऊ साठे विकास महामंडल के अध्यक्ष अमित गोरखे, जिलाधिकारी नवलकिशोर राम, पीएमआरडीए के आयुक्त विक्रम कुमार, पिंपरी चिंचवड़ मनपा आयुक्त श्रावण हर्डीकर, पीसीएनटीडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रमोद यादव, नगरसेवक नामदेव ढाके, प्रमोद निसल आदि उपस्थित थे।