सात भारत रत्न दे चुके कोंकण में कड़ा मुकाबला

मुंबई (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – महाराष्ट्र के तटवर्ती कोंकण की चार लोकसभा सीटों के लिए कांटे का मुकाबला है। इसे देश की आर्थिक राजधानी से निकटता के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आजादी के बाद से इस इलाके ने देश को सात भारत रत्न दिए हैं और यह अल्फांसो आम के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इसे व्यापक तौर पर शिवसेना का गढ़ माना जाता है। लेकिन दूसरी पार्टियां भी इस बार कड़ी चुनौती देगी। यह क्षेत्र हरे-भरे समुद्री तटों, समुद्री व पहाड़ी किलों, प्राकृतिक सुंदरता व विशेष कोंकणी समुद्री भोजन के लिए जाना जाता है।

जिन सीटों के लिए मतदान होना है, उनमें रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, रायगढ़ व ठाणे व पालघर शामिल हैं। ये सभी सीटें अरब सागर से लगी हुई हैं। इन चार सीटों में से तीन पर शिवसेना का कब्जा है और एक (पालघर) पर उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) काबिज है।

(मुंबई भौगोलिक दृष्टिकोण से कोंकण का हिस्सा है। लेकिन छह सीटों के साथ मुंबई की अलग गणना की जाती है, क्योंकि यह राज्य की राजधानी है।) कुछ समय पहले तक कोंकण, मुंबई में रहने और कमाने वाले युवाओं की ‘मनी ऑर्डर अर्थव्यवस्था’ पर निर्भर था, जो अपने माता-पिता या परिवार को पोस्टल ऑर्डर भेजते थे और पारस्परिक लाभ की यह परंपरा आज भी जारी है।

कोंकण के मतदाताओं पर लंबे समय से स्थापित अपने प्रभाव के साथ शिवसेना केंद्र द्वारा प्रस्तावित दो बड़ी परियोजनाओं को लगाने में कामयाब रही है। इन परियोजनाओं में फ्रांस के साथ जैतापुर परमाणु संयंत्र परियोजना व सऊदी अरब की अरामको के नेतृत्व वाली नानार तेल एवं पेट्रोकेमिकल परियोजना शामिल है। दोनों पर्यावरण संवेदी रत्नागिरी इलाके में स्थित हैं।

वास्तव में सिंधुदुर्ग व रत्नागिरी के दो जिले शिवसेना के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे व उनके बेटों की पकड़ में रहे हैं और उनके पार्टी छोड़कर 2005 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी इस इलाके पर उनकी पकड़ बरकरार है। नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे ने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सीट जीती थी और शिवसेना के सुरेश प्रभु को उन्होंने मात दी थी। शिवसेना ने इस सीट को 2014 में मोदी लहर के दौरान कांग्रेस से छीन ली। इस सीट पर शिवसेना के विनायक राउत ने जीत हासिल की थी।

कांग्रेस ने नारायण राणे को जब मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो उन्होंने सितंबर 2017 में पार्टी छोड़ दी। नारायण के समर्थक सत्तारूढ़ राजग में चले गए और उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया गया। हालांकि, उनके कट्टर विरोधी शिवसेना ने राजग में उनके प्रवेश को लेकर विरोध जारी रखा। उन्होंने अपनी महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी (एमएसपी) लांच की, जो अब स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही है। इस बार नीलेश राणे, राउत और कांग्रेस के नवीनचंद्रा बांदिवडेकर के बीच मुकाबला है।

रायगढ़ में शिवसेना के एक मात्र केंद्रीय मंत्री व दो बार सांसद रहे अनंत गीते का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष सुनील तटकरे से होगा। गीते ने 2009 में कांग्रेस के दिग्गज (अब दिवंगत) ए.आर.अंतुले को हराया था, जिसके बाद उन्हें जियांट किलर का टैग मिला। अंतुले केंद्रीय मंत्री व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके थे।

शिवसेना को चुनाव से पहले नावेद अंतुले (अंतुले के बेटे) के पार्टी में शामिल होने से बढ़त मिली है और यह गीते के लिए मददगार होगी, लेकिन तटकरे को 56 पार्टियों के महागठबंधन का समर्थन है। ठाणे शिवसेना का गढ़ है। इसके मौजूदा सांसद रंजन विचारे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के आनंद पी.परांजपे के खिलाफ लड़ रहे हैं। परांजपे चार बार के शिवसेना सांसद दिवंगत प्रकाश परांजपे के बेटे हैं।

इसके साथ लगी पालघर सीट से भाजपा के पूर्व सांसद राजेंद्र गवित मैदान में हैं। आधुनिक समय की राजनीति के अलावा कोकण में ही मराठा हीरो छत्रपति शिवजी महाराज ने रायगढ़ किले से अपने ‘हिंदवी स्वराज’ की नीव रखी थी। इसके अतिरिक्त इस इलाके ने देश को सात भारत रत्न दिए हैं। इनमें बी.आर. आंबेडकर, महर्षि ढोंडो केशव कर्वे, आचार्य विनोबा भावे, पांडुरंग वामन काने, मुंबई के जे.आर.डी. टाटा, लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर शामिल हैं।