नई दिल्ली, 30 नवंबर : एड्स संक्रमित व्यक्ति दवारा अपने जोरदार की सहमति से उससे शारीरिक संबंध बनाने पर उस व्यक्ति को हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। यह आदेश दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनाया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि लैंगिक अत्याचार या बलात्कार जैसे अपराध में आरोपी के एड्स पीड़ित होने पर फैसला सुनाने में इन बातों पर विचार करना महत्वपूर्ण है। लेकिन इसके लिए उसे धारा 309 के तहत हत्या का दोषी करार नहीं दिया जा सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट में खुद की सगी बेटी के साथ बलात्कार करने के मामले में एड्स मरीज आरोपी पर हत्या का केस दर्ज किया गया था। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विभु बाखरू की खंडपीठ के समक्ष हुई। इस मामले में आरोपी को हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया गया। लेकिन बलात्कार के मामले में उसे दोषी माना गया। बलात्कार के मामले में निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट ने बरक़रार रखा है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करने का कोई तुक नज़र नहीं आता है। इसके लिए उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। एड्स पीड़ित दवारा असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाना गैरजिम्मेदाराना है। खुद की बीमारी का पता होने के बाद भी संबंध बनाना गलत है। शारीरिक संबंध से संक्रमण फ़ैल सकता है। ऐसा पता होने के बाद भी शारीरिक संबंध बनाना जोड़ीदार को जान को खतरे में डालने जैसा है।