सत्तादल के सदस्य प्रस्तावों से बढ़ा प्रशासन का सिरदर्द

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन

सत्ता परिवर्तन के बाद से पिंपरी चिंचवड़ मनपा में सदस्य प्रस्तावों की भरमार शुरू है। कई प्रस्ताव तो ऐसे होते हैं जिनकी परोक्ष में अमलबाजी संभव नहीं है। अब अमलबाजी की तो कानूनी दिक्कत और न की तो सत्तादल की नाराजगी। कई प्रस्ताव तो खुद सत्तादल भाजपा के लिए भी जी का जंजाल साबित हुए हैं। हांलाकि दोहरे चक्र में फंसे प्रशासन के लिए सदस्य प्रस्ताव सिरदर्द साबित हो रहे हैं।[amazon_link asins=’B07DRQZMS3′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’263a9773-806b-11e8-9048-bb4d18e53d59′]

स्थायी समिति समेत विभिन्न विषय समितियों व सर्व साधारण सभाओं में नगरसेवकों द्वारा खुद प्रस्ताव लाकर पारित किए जा रहे हैं। इनमें कई प्रस्ताव ऐसे हैं जिनकी परोक्ष में अमलबाजी करने में प्रशासन के समक्ष कई दिक्क़तें आती हैं। उनकी अमलबाजी करना कानूनी और तकनीकी तौर पर संभव नहीं हो पाता। इनकी अमलबाजी कैसे करें इसके साथ ही अमलबाजी न करने पर सभा में नगरसेवकों को जवाब क्या दें? इन सवालों ने अधिकारी वर्ग को परेशान कर छोड़ा है। इसका विपरीत असर मनपा के कामकाज पर भी हो रहा है।

कुल मिलाकर सदस्य प्रस्ताव अधिकारियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं। उनका यह सिरदर्द दूर करने के लिए अब मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने पहल की है। उन्होंने सभी विभागों के लिए एक परिपत्र जारी कर सदस्य प्रस्तावों की कड़ाई से जांच- पड़ताल के बाद ही उनकी अमलबाजी के आदेश दिए हैं। जिन प्रस्तावों को आयुक्त ने मान्य किया है उसी की अमलबाजी करें, अवैध या गैरकानूनी या नियमबाह्य तरीके से पेश व पारित किये गए अनावश्यक प्रस्तावों की अमलबाजी से बचने की सलाह इसमें दी गई है। यही नहीं मनपा आयुक्त की अनुमति के बिना गैर प्रशासकीय प्रस्ताव की अमलबाजी करने पर संबन्धित विभागप्रमुख को जिम्मेदार माना जायेगा, यह चेतावनी भी इस परिपत्र के जरिए दी गई है।[amazon_link asins=’B077Z35VB9′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’3844d0a2-806b-11e8-924d-e72e7dc0fb08′]