ओशो की वसीयत की जांच पर पुणे पुलिस को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

पुणे। समाचार ऑनलाइन

आध्यात्मिक गुरु ओशो रजनीश की वसीयत की सत्यता पर सवाल उठानेवाली याचिका की सुनवाई में मुंबई हाईकोर्ट ने पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को कड़ी फटकार लगाई है। ओशो की वसीयत की सत्यता जांचने के आदेश पुणे पुलिस को दिए गए हैं, मगर चार साल बीतने के बाद भी इसमें नाकाम साबित होने को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है।

इस सुनवाई में दिल्ली के फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट पेश की जिसमें ओशो के वसीयत की मूल प्रति भारत मे मौजूद ही नहीं रहने की बात कही गई है। वहीं पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अदालत में दावा किया कि मूल वसीयत पूरे विश्व में कहीं उपलब्ध नहीं है। ऐसे में केवल ज़ेरॉक्स कॉपी से ओशो रजनीश के हस्ताक्षर की सत्यता जांचना संभव नहीं है, ऐसा सरकारी वकील ने अदालत को बताया। हांलाकि उच्च अदालत ने पुणे पुलिस को याचिकाकर्ता द्वारा दी गई दिल्ली की फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट पर जवाब देने के आदेश दिए।

आर्थिक अपराध शाखा द्वारा पेश की गई जांच रिपोर्ट पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जताई और किसी निजी कंपनी की भांति सालाना रिपोर्ट पेश करने जैसा काम न करे, इन शब्दों में फटकार लगाई। जांच यंत्रणा विदेश मंत्रालय की मदद से स्पेन की कोर्ट से ओशो रजनीश की मूल वसीयत भारतीय कोर्ट में पेश करने की कोशिश की गई। मगर वह वहां भी उपलब्ध नहीं है, यह भी अदालत को बताया गया। इस पर इस मामले की जांच रिपोर्ट उचित तरीके से पेश करने की हिदायत देते हुए हाईकोर्ट ने एक अगस्त तक सुनवाई को स्थगित कर दिया।

न्यायमूर्ति आर.एम. सावंत न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की बेंच के समक्ष इस याचिका पर सुनवाई शुरू है। इस मामले की जांच न्यायालय की देखरेख में ही हो यह मांग याचिकाकर्ता योगेश ठक्कर ने की। उनकी याचिका में ओशो की नकली वसीयत बनाकर ट्रस्ट द्वारा करोडों रुपये की हेराफेरी किये जाने का आरोप लगाया गया है। चार साल बाद भी पुणे पुलिस इस मामले की गुत्थी सुलझाने में नाकाम साबित हुई है। इसके चलते इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई है।