शिवसेना सांसद को बचाने को लेकर पुलिस को उच्च न्यायालय ने फटकारा

मुंबई। समाचार एजेंसी

ध्वनि प्रदूषण के एक मामले में शिवसेना के सांसद को बचाने की भूमिका को लेकर मुंबई पुलिस को उच्च न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाई है। न्यायाधीश एएस ओक और रियाज छागला की पीठ ने लताड़ लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस को इस तरह के मामलों को दर्ज करने की जानकारी नहीं है। न्यायालय समय समय पर पुलिस को आदेश और निर्देश देते रहते हैं, लेकिन पुलिस हमेशा वास्तविक दोषियों को बचाने की भूमिका से बाज नहीं आती।

ध्वनि प्रदूषण का यह मामला ठाणे जिले के अंबरनाथ का है जहाँ पिछले साल मई में एक समारोह में ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों के उल्लंघन को लेकर पुलिस ने कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। हाँलाकि कार्यक्रम के संयोजक रहे शिवसेना के सांसद श्रीकांत शिंदे को इससे दूर रखा गया। बीते दिन इस मामले की सुनवाई में मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुंबई पुलिस को लताड़ लगाई औऱ सवाल उठाया कि, इस मामले की एफआईआर में शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे का नाम क्यों नहीं है?

जब समारोह की प्रचार सामग्री में स्पष्ट रूप से लिखा था कि उसके आयोजक श्रीकांत शिंदे है। तब उसका नाम एफआईआर में क्यों नहीं है? न्यायालय ने राज्य सरकार को भी फटकारते हुए इस मामले में अपना रुख साफ करने को कहा है। सरकार ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों का कड़ाई से पालन करने में रुचि नहीं रखती है, यह नाराजगी भी न्यायालय ने जताई है। एफआईआर में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की वे धाराएं नहीं लगाई गईं, जिन्हें ज्यादा कठोर माना जाता है। उच्च न्यायालय की नाराजगी की यह भी एक वजह है। इस मामले पर सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।