हिमाचल : 7100 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को मंजूरी

शिमला, 16 जनवरी (आईएएनएस)- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में बुधवार को यहां राज्य योजना बोर्ड की बैठक में वर्ष 2019-20 के लिए 7100 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना को स्वीकृति प्रदान की गई। यह गत वर्ष की वार्षिक योजना 6300 करोड़ रुपये से 800 करोड़ रुपये अधिक है। इस प्रकार वार्षिक योजना में 12.70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

सामाजिक सेवा क्षेत्र, परिवहन और संचार, कृषि और सम्बन्धित गतिविधियों, ऊर्जा, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण आदि को इस वार्षिक योजना में प्राथमिकता प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए 3048.15 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित है, जो कुल व्यय का 42.93 प्रतिशत है। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित धन से मानव विकास के सूचकों तथा राज्य की विकास प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाने में सहायता मिलेगी।

उन्होंने कहा कि परिवहन एवं संचार क्षेत्रों को द्वितीय प्राथमिकता में रखा गया है, जिसके लिए 1241.98 करोड़ रुपये प्रस्तावित है, जो कुल व्यय का 14.49 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि गांवों में यातायात योग्य सड़कों के निर्माण तथा पहले से मौजूद अधोसंरचना के रख-रखाव के लिए ऐसा किया गया है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि तीसरी प्राथमिकता कृषि और इससे सम्बन्धित गतिविधियों को दी गई है, जिसके लिए 877.25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कुल कार्य करने वाली जनसंख्या के लगभग 62 प्रतिशत को सीधे तौर पर कृषि क्षेत्र से रोजगार मिलता है।

उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र के लिए 711.06 करोड़ रुपये, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के लिए 457.48 करोड़ रुपये, सामान्य आर्थिक सेवाओं के लिए 335.15 करोड़ रुपये जबकि सामान्य सेवा क्षेत्र के लिए 133.89 करोड़ रुपये प्रस्तावित है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए 133.65 करोड़ रुपये, उद्योग और खनिज के लिए 95.59 करोड़ रुपये, विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण के लिए 38.02 करोड़ रुपये और विशेष क्षेत्र कार्यक्रम के तहत 27.78 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 7100 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना में से 1788.49 करोड़ रुपये अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत व्यय किए जाएंगे जिसमें अधिकतर अनुसूचित जाति की जनसंख्या के कल्याण के लिए कार्य किए जाएंगे। इसी प्रकार 639 करोड़ रुपये की 9 प्रतिशत राशि जनजातिय क्षेत्र उपयोजना के लिए रखी गई है, जिसका उद्देश्य राज्य के जनजातीय क्षेत्रों का विकास करना है।

उन्होंने कहा कि 80 करोड़ रुपये की राशि पिछड़ा क्षेत्र उपयोजना के तहत पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए रखी गई है।