हौंसला: घर में रखी ज्वेलरी को बेचकर बनाई थी ‘दिव्यांग’ क्रिकेट टीम, अब भारत को दिलाया ‘वर्ल्ड कप’

समाचार ऑनलाइन- भारत की दिव्यांग क्रिकेट टीम ने विश्व कप अपने नाम करने की अपार सफलता प्राप्त की है. दिव्यांग खिलाड़ियों के इस बेहतर प्रदर्शन का श्रेय दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन के महासचिव रवि चौहान को जाता है. साल 2011 में पूर्व क्रिकेटरों की मदद से इन्होंने दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन गठन किया था. इसके बाद, कई स्थानों पर शिविरों का आयोजन कर, उन्होंने होनहार खिलाडियों को आगे आने का मौका दिया. उनकी इसी कड़ी मेहनत का नतीजा, आज सबके सामने हैं. आज उनके अथक प्रयासों से भारत की दिव्यांग क्रिकेट टीम ने पहले विश्व कप पर अपना कब्जा कर लिया है.

बचपन से था क्रिकेट का जुनून; पर अपंग होने से खेलने का मौका नही मिला

फरीदाबाद में रहने वाले रवि चौहान को बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद था. लेकिन दिव्यांग होने की वजह से  अन्य बच्चे उन्हें अपने साथ नही खिलाते थे. क्रिकेट के जुनून के चलते वे दूर के मैदान में खेलने जाते थे, जिसके लिए उन्हें अपने दोस्तों से पैसे उधार लेना पड़ते थे. इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि, “जो मेरे साथ हुआ है, वो मैं किसी और के साथ नहीं होने दूंगा.” फलस्वरूप उन्होंने साल 2011 में  दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन की नींव रख दी.

स्पोंसर ना मिलने पर, बेचे घर के गहने

रवि चौहान ने विकलांगों के खेलने के लिए एक अलग स्थान बनाया. इसके बाद देश भर में घूम कर  प्रतिभाशाली खिलाडियों का चयन किया. फिर पूर्व क्रिकेटरों की मदद से एक टीम बनाई. दिव्यांग क्रिकेटरों को विशेष पैड और दस्ताने डिजाइन किए. इसके अलावा एक सॉफ्ट बॉल की जगह एक चमड़े की गेंद का उपयोग किया गया. शुरुआत में दिव्यांग क्रिकेट टीम का कोई प्रायोजक या स्पोंसर नहीं था. ऐसे में उन्होंने घर में रखे गहनों को बेच दिए. कुछ पैसे दोस्तों से उधार लिए व आख़िरकार अपने सपने को साकार रूप दिया. आज उनकी लगन से विकलांग युवकों का भी भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है.