हिम्मत है तो अकेले लड़े; चंद्रकांत पाटिल का सत्ताधारियों को चुनौती 

पुणे, 4 दिसंबर : स्नातक और शिक्षक विधान परिषद् चुनाव का परिणाम आश्चर्जनक नहीं है।  तीन-तीन मिलकर एक से लड़ेंगे तो इससे अलग तस्वीर नज़र नहीं आएगी। फिर भी हमने पूरी हिम्मत से लड़ाई लड़ी।  उनमे हिम्मत है तो वह अकेले लड़े।  लेकिन उनमे ये हिम्मत नहीं है। यह प्रतिक्रिया भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दी है।  स्नातक, शिक्षक और स्थानीय निकाय के  विधान परिषद् के 6 सीटों के लिए 1 दिसंबर को चुनाव हुआ था।

इस चुनाव के तक़रीबन सभी परिणाम आ गए है।  इसमें भाजपा को तगड़ा झटका  लगा है।  भाजपा के गढ़ पुणे और नागपुर में महविकस आघाडी ने सेंध लगा दी है।  भाजपा की इस हार के लिए  पाटिल ने तीनों दलों के एकसाथ लड़ने को बड़ी वजह माना है। उन्होंने कहा कि पुणे में वोट काटने वाले तीसरे उम्मीदवार के नहीं होने का नुकसान भाजपा को हुआ है।  इसके लिए उन्होंने पहले के चुनाव के उदाहरण दिए है।

चुनाव रिजल्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटिल ने कहा कि शिवसेना को इस रिजल्ट से होश आना चाहिए।  शिवसेना ने अमरावती सीट गंवा दी।  इसका फायदा राष्ट्रवादी को हुआ है।  पुणे , मराठवाड़ा के स्नातक सीट राष्ट्रवादी ने जीते है।  अमरावती शिक्षक सीट अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रवादी के पास ही रहेगा।  क्योंकि यहां पहले नंबर पर आये अनिल देशमुख  उनके साले है। वह राष्ट्रवादी में जाएंगे।  कांग्रेस ने नागपुर स्नातक, पुणे शिक्षक सीट जीता है।  इसमें शिवसेना को क्या मिला ? कांग्रेस और राष्ट्रवादी का  संगठन बढ़ रहा है। शिवसेना नीचे जा रही है।  शिवसेना को दुलारने या सरकार बनाने का मेरे इस बयान से कोई संबंध नहीं है।  केवल पुराने प्रेम के नाते बोल रहा हूं।