पिंपरी-चिंचवड़ में महायुति को बागियों का सिरदर्द कायम

पुणे : समाचार ऑनलाइन – नामांकन वापसी की मियाद के बाद सोमवार को पिंपरी चिंचवड़ शहर में विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। अब शहर की विधानसभा की तीन में से पिंपरी विधानसभा की सीट के लिए भाजपा-शिवसेना महायुति का मुकाबला राष्ट्रवादी कांग्रेस- कांग्रेस महागठबंधन के साथ होने जा रहा है। जबकि चिंचवड़ और भोसरी विधानसभा की सीट के लिए महायुति का यह मुकाबला राष्ट्रवादी व दूसरे दलों के समर्थित प्रत्याशियों के साथ होने जा रहा है। पिंपरी में भाजपा और चिंचवड़ में शिवसेना के बागियों की बगावत कायम रहने से महायुति का सिरदर्द बना हुआ है। तीनों विधानसभा की सीटों के लिए ‘वन टू वन’ फाइट होगी। अब शहर के मतदाता किसे विधायकी का ताज पहनाते हैं? यह देखना दिलचस्प होगा।

भोसरी में फिर ससुर- दामाद के बीच मुकाबला

2009 में अस्तित्व में आए भोसरी विधानसभा चुनाव क्षेत्र में पहले विधायक चुने जाने का सम्मान विलास लांडे को मिला था। तब उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी के बाजी मारी थी। 2014 के चुनाव में मात्र उन्हें रिश्ते में उन्हीं के दामाद लगनेवाले महेश लांडगे से मात मिली और वे हैट्रिक करने से चूक गए। इस चुनाव में यहाँ फिर एक बार ममिया ससुर और दामाद के बीच मुकाबला होने जा रहा है। नामांकन वापसी के बाद भाजपा-शिवसेना महायुति के विधायक महेश लांडगे और राष्ट्रवादी कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी विलास लांडे ये दो ही दिग्गज आखाड़े में हैं। उनके समेत कुल 12 प्रत्याशी चुनाव के मैदान में रह गए हैं। आज नामांकन वापसी की मियाद में भूतपूर्व विपक्षी नेता दत्ता साने, पूर्व नगरसेवक जालिंदर शिंदे, दत्तात्रय जगताप, डॉ. मिलिंदराजे भोसले, विष्णू शेलके, महेश तांदले आदि ने नामांकन वापस लिया। इसके चलते चुनाव के मैदान में भाजपा के महेश लांडगे, निर्ददली विलास लांडे, समाजवादी पार्टी की वहिदा शेख, बीआरएसपी के ज्ञानेश्वर बो-हाटे, जनहित लोकशाही पार्टी के विश्वास गजरमल, वंचित बहुजन आघाडी के शहानवाज शेख, बहुजन मुक्ति पार्टी के विजय आराख, महाराष्ट्र मजदूर पार्टी के भाऊ अडागले, बहुजन समाज पार्टी के राजेंद्र पवार, निर्दलीय हरेश डोलस, छाया जगदाले, मारुती पवार आदि रह गए हैं।

पिंपरी में बनसोडे व चाबुकस्वार फिर आमने-सामने

2009 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस के अण्णा बनसोडे पिंपरी के पहले विधायक के तौर पर चुनकर आए। 2014 के चुनाव में मात्र बनसोडे, शिवसेना के गौतम चाबुकस्वार और भाजपा-आरपीआय युति की चंद्रकांता सोनकांबले के बीच हुए त्रिकोणीय मुकाबले में चाबुकस्वार की लॉटरी निकली और वे करीबन 2200 वोटों से जीत गए। इस चुनाव में शिवसेना-भाजपा महायुति के विधायक एड गौतम चाबुकस्वार और राष्ट्रवादी कांग्रेस- कांग्रेस महागठबंधन के प्रत्याशी व भूतपूर्व विधायक अण्णा बनसोडे के बीच मुकाबला है। चाबुकस्वार के समक्ष भाजपा नगरसेवक बालासाहेब ओव्हाल की बगावत की भी चुनौती है। आज भाजपा के बागी अमित गोरखे, पूर्व नगरसेवक भीमा बोबडे, आरपीआई की बागी चंद्रकांता सोनकांबले, राष्ट्रवादी के बागी नगरसेवक राजू बनसोडे, सुलक्षणा धर, पूर्व नगरसेवक शेखर ओव्हाल, काँग्रेस के सुंदर कांबले, मनोज कांबले, राष्ट्रवादी के उत्तम हिरवे, संदीपान झोंबाडे, गौरीशंकर झोंबाडे, सतिश भवाल, विजय रंदील आदि 13 प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिया है। इसके चलते चुनाव के मैदान में बनसोडे व चाबुकस्वार के साथ भापसे पार्टी के दिपक ताटे, राष्ट्रवादी रिपल्बिकन पार्टी के डॉ. राजेश नागोसे, बहुजन मुक्ति पार्टी के गोविंद हेरोडे, बहुजन समाज पार्टी केे धनराज गायकवाड, वंचित बहुजन आघाडी के प्रवीण गायकवाड, भारतीय धर्मनिरपेक्ष पार्टी के संदीप कांबले, भाजपा नगरसेवक बालासाहेब ओव्हाल, मुकुंदा ओव्हाल, अजय लोंढे, दिपक जगताप, चंद्रकांत माने, नरेश लोट, हेमंत मोरे, युवराज दाखले, अजय गायकवाड कुल 17 प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं।

चिंचवड़ में विधायक जगताप की हैट्रिक रोकने की चुनौती

विधायकी की हैट्रिक करने जा रहे भाजपा के शहराध्यक्ष लक्ष्मण जगताप का मुकाबला शिवसेना के बागी राहुल कलाटे जिन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों का समर्थन मिलना तय माना जा रहा है, के साथ होने जा रहा है। पिछले चुनाव में भी दोनों आमने-सामने रहे, तब कलाटे शिवसेना की टिकट पर 63 हजार 489 वोट पाकर दूसरे नँबर पर रह गए थे। इस बार राष्ट्रवादी कांग्रेस ने इस सीट से स्थायी समिति के भूतपूर्व सभापति प्रशांत शितोले को अपना प्रत्याशी तो घोषित किया मगर उन्हें एबी फॉर्म नहीं दिया। इसके चलते उनका नामांकन खारिज कर दिया गया। इस नाराजगी में उन्होंने नेताओं पर आरोप लगाते हुए राष्ट्रवादी के कार्याध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया। आज नामांकन वापसी की मियाद में कैलास परदेशी, जावेद शेख, धर्मपाल तंतरपाले ने अपने पर्चे वापस लिए। इससे चुनाव के मैदान में जगताप और कलाटे के अलावा बहुजन समाज पार्टी के राजेंद्र लोंढे, जनहित लोकशाही पार्टी के नितीश लोखंडे, बहुजन मुक्ति पार्टी के एकनाथ जगताप, वंचित बहुजन आघाडी के प्रकाश घोडके, भारतीय राष्ट्रवादी पार्टी के महावीर संचेती, भारतीय शेतकरी कामगार पार्टी की छायावती चंद्रकांत देसले, सुरज खंडारे, डॉ. मिलिंदराजे भोसले, राजेंद्र काटे, रवींद्र पारधे रह गए हैं।