घायलों को मुआवजा देने के नाम पर रेलवे प्रशासन कर रही ढोंग

पुणे । समाचार ऑनलाइन
पुणे के जुना बाजार में होर्डिंग हादसे में मृतक और घायलों को परिवारजनों को मुआवजा देने का ढोंग रेलवे प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। पुणे रेलवे प्रशासन द्वारा मृतक के परिवारजनों को 5 लाख रुपए की राशि और घायलों को 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए की राशि प्रदान की गई है। पुणे रेलवे प्रशासन द्वारा मुआवजा देने का ढोंग जाने का आरोप घायलों के परिवारजनों द्वारा लगाया गया है। अवैध होर्डिंग से करोड़ों रुपए कमानेवाली रेलवे ने सिर्फ नाममात्र राशि घायलों की दी है। इस राशि में घायलों का इलाज तो क्या दवा भी नहीं आएगी।
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ज्ञात हो कि इस घटना में 4 लोगों की जान गई थी साथ ही 7 लोग घायल हुए थे। जिसमें से सात लोगों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें गंभीर चोट आयी है। ससून हॉस्पिटल में इलाज के दौरान पुणे रेलवे प्रशासन की टीम परिवारजन से मिलने आयी थी और उनका पूरा इलाज का खर्च करने का वादा किया है। इस मुआवजा की सच्चाई अगर आपको बतायी जाए तो मुआवजा देते समय एक पत्र भी परिवारजनों को थमाया गया है जिसमें रेलवे प्रशासन ने यह लिखा है कि आपको यह रकम मुआवजा के रुप में दी जा रही है और उसके बाद आप किसी भी तरह की अन्य रकम के लिए रेलवे के पास क्लेम नहीं कर सकते हैं। रेलवे का यह घिनौना सच यह जाहिर करता है कि मुआवजा के नाम पर लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है।
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इस घटना में उमेश मोरे नामक रिक्शा चालक भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज भी ससून हॉस्पिटल में चल रहा है। उमेश मोरे सांगवी इलाके में अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ रहते हैं। वे परिवार के एकमात्र सदस्य हैं, जिनकी वजह से घर का खर्च चलता है। पर इस हादसे की वजह से परिवार को गहरा सदमा तो लगा है, साथ ही उनके परिवार की रोजी रोटी भी छीन गई है। उमेश मोरे के सिर पर गहरी चोट लगने की वजह से उनका ऑपरेशन किया गया है। अभी भी उमेश आईसीयु में है। उमेश के भाई रमेश मोरे ने पुणे समाचार को बताया कि मुझे रेलवे द्वारा एक लाख रुपए का मुआवजा दिया जा रहा था, जिसे लेने से हमने इंकार कर दिया है। एक लाख जैसी छोटी रकम देकर यह हमारी भावनाओं से खेल रहे हैं. होर्डिंग के जरिए रेलवे प्रशासन ने करोड़ो रुपए कमाए हैं। रमेश मोरे ने कहा कि मेरे भाई के सिर पर काफी गहरी चोट आयी है, वह खतरे से भले बाहर है, पर अभी भी आईसीयु में है। हॉस्पिटल से डिस्चॉर्ज होने के बावजूद 7 से 8 महीने का समय इलाज में जाएगा। इन महीनों में घर का पूरा खर्चा और इलाज का खर्चा कौन उठाएगा। एक लाख रुपए हमारे लिए काफी नहीं है। अगर रेलवे प्रशासन को हमारी जिम्मेदारी उठानी है तो नाम के लिए नहीं उठाए।
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परिवार में एकमात्र कमानेवाले शख्स ही घायल अवस्था में है, तो उनके परिवार के रोजी रोटी की जिम्मेदारी भी रेलवे ने उठानी चाहिए। इसका जवाब रेलवे प्रशासन से बार बार उमेश मोरे के परिवारजन पूछ रहे हैं। उनका साफ कहना है कि हम यह मुआवजा की रकम नहीं लेंगे। इस हादसे के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन को उठानी होगी, नहीं तो 2013 से लेकर अबतक रेलवे प्रशासन ने होर्डिंग से जो भी पैसे कमाए हैं, वह रकम हमें दे। अन्यथा उमेश की पत्नी को रेलवे में नौकरी देने की मांग की है।

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