देश में घर से ज्यादा बाहर खाने का ट्रेंड बढ़ा

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – हमारे खान-पान में बड़ा बदलाव आ रहा है. कभी-कभी घर में चूल्हा नहीं जलाना अब अपवाद नहीं रहा. लोग घर के खाने की तुलना में बाहर के खाने को प्राथमिकता देने लगे हैं. वे रेस्टोरेंट में जाते हैं या घर में फूड ऐप के जरिये खाना मंगवा लेते हैं. अब खाने की पौष्टिकता की बजाये स्वाद को अधिक प्रधानता दी जा रही है. ऐसे में नई पीढ़ी घर के खाने से दूर होती जा रही है.

एनआरएआई के सर्वे में चिंताजनक खुलासा
नेशनल रेस्टोरेस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) संगठन द्वारा किए गए सर्वे में यह चिंताजनक स्थिति फिर से सामने आई है. संस्था के सर्वे के मुताबिक देश में सामान्य परिवार के लोग औसतन 6.6 बार बाहर खाना खाने के लिए जाते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि अन्य एशियाई देशों की तुलना में यह संख्या काफी कम है. सिंगापुर में यह संख्या 30 तक पहुंच गई है. अन्य एशियाई देशों में बैंकॉक में यह संख्या 45 और संघाई में 60 है. यानी इन लोगों के घरों में महीनों-महीनों चूल्हा नहीं जलता है.

एक परिवार महीने में बाहर खाने पर 2500  खर्च करता है
बाहर खाना खाने का प्रचलन भारत में नया है, लेकिन यह तेजी से बढ़ रहा है. एक भारतीय परिवार महीने में औसतन बाहर के खाने पर 2500 रुपए खर्च करता है. भारत के इस बदलते ट्रेंड के कारण देश की फूड इंडस्ट्री का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. मुंबई में अन्न उद्योग का आकार सबसे अधिक है. यह करोबार 41,000 करोड़ रुपए का है. दिल्ली में यह आंकड़ा 31,132 करोड़ रुपए का है और बेंगलुरु में 20,014 करोड़ रुपए का है.

खाद्य पदार्थों का असंख्य विकल्प मौजूद
इसका एक कारण यह है कि लोगों के सामने आज खाद्य पदार्थों का असंख्य विकल्प है और वे दुनियाभर के पदार्थों का स्वाद ले रहे हैं. एनआरएआई के सर्वे के अनुसार मुंबई के लोगों को दक्षिण भारतीय व्यंजन काफी अधिक पसंद है. करीब 33 फीसदी लोग इटालियन और 29 फीसदी लोग चायनीज पदार्थों  को पसंद करते हैं. उत्तर भारत में दक्षिण भारत के पदार्थों को अधिक पसंद किए जाने की वजह से दक्षिण भारत के लोग उत्तर भारतीय पदार्थों को पसंद करने लगे हैं. लेकिन दिल्लीवासियों को अपने स्थानीय भोजन से ही ज्यादा लगाव है. पूरे देश की बात करें तो उत्तर भारत के खाद्य पदार्थों की सबसे अधिक 41 फीसदी मांग है. इसके बाद चायनीज 27 प्रतिशत, दक्षिण भारतीय 27 प्रतिशत, मुगलाई 22 प्रतिशत और इटालियन 16 प्रतिशत की मांग है.