INSPIRATION: ‘इस’ मुस्लिम परिवार ने संस्कृत में छपवाया वेडिंग कार्ड, तीसरी पीढ़ी में यह परंपरा बरकार -जाति-धर्म से उपर उठकर संस्कृत के प्रति दिखाया प्रेम  

समाचार ऑनलाइन– अक्कलकोट तालुका के एक वरिष्ठ संस्कृत पंडित गुलाम दस्तगीर बिराजदार ने अपने पोते की लग्न पत्रिका संस्कृत भाषा में छपवाई है. यह उनकी तीसरी पीढ़ी है, जिसकी लग्न पत्रिका या शादी का निमंत्रण कार्ड संस्कृत भाषा में छपवाया गया है. मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिराजदार परिवार द्वारा जाति-धर्म से परे जाकर संस्कृत भाषा के प्रचार के लिए उठाया गया यह कदम अब सुर्खियाँ बटोर रहा है. उनके इस फैसले की लोग सराहना कर रहे हैं.

बता दें कि गुलाम दस्तगीर बिराजदार को शुरू से ही संस्कृत के प्रति विशेष रूचि रही है, जिसके चलते उन्होंने संस्कृत भाषा का ज्ञान अर्जित करने में अपना जीवन लगा दिया है.

इससे पहले पंडित गुलाम दस्तगीर बिराजदार ने अपने दोनों भाइयों का वेडिंग कार्ड भी संस्कृत में छपवाया था. इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने बेटे और मराठी कवि बदीउज्ज्मा बिराजदार के साथ दोनों बेटियों के विवाह समारोहों के निमंत्रण पत्र भी संस्कृत में छपवाए हैं. उन्होंने इसी परंपरा को अपनी  तीसरी पीढ़ी में भी कायम रखा. पंडित बिराजदार ने अपने पोते डॉ. समीन की शादी का निमंत्रण कार्ड संस्कृत में छपवाया था. इसके दो साल बाद अब पोते अजीम नवाज की शादी का कार्ड भी संस्कृत में ही छपवाया गया है.

कल (22 दिसंबर) सोलापुर में यह विवाह समारोह है. पंडित गुलाम दस्तगीर ने अपने पोते की शादी का कार्ड संस्कृत सहित मराठी, अंग्रेजी और उर्दू में भी छपवाया है.

पिछले छह दशकों से, पंडित गुलाम दस्तगीर बिराजदार संस्कृत भाषा और साहित्य का प्रचार और प्रसार कर रहे हैं। संस्कृत में प्रचुर लेखन के साथ, उन्होंने अब तक व्याख्यान के माध्यम से संस्कृत को बढ़ावा दिया है। उन्होंने पवित्र कुरान का संस्कृत में भी अनुवाद किया है. उन्होंने कुरान के साथ-साथ उपनिषदों, रामायण-महाभारत, वेद पुराण सहित कई इस्लामिक ग्रंथों का अध्ययन किया है.

पंडित दस्तगीर का कहना है कि, संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति और एकीकरण का एक अभिन्न अंग है। अपने पूरे जीवन में मैंने संस्कृत से बहुत प्यार किया है। इसलिए, संस्कृत में परिवार की शादी की पत्रिका को छपवाना मेरे लिए किसी बड़ी खुशी से कम नहीं है। चूँकि संस्कृत भारतीय संस्कृति के साथ-साथ सभी भाषाओं की जननी है, इसलिए हमने शादी के निमंत्रण से संस्कृत भाषा के लिए प्रेम व्यक्त किया है।