इरफान खान ने खत में लिखा, ‘मैं सरेंडर कर चुका हूं, अंजाम पता नहीं’

मुंबई। समाचार एजेंसी

लंदन में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज करा रहे बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने एक खत लिखकर इस दुर्लभ बीमारी के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई का दर्द बताया है। उन्होंने इस खत में बताया कि कैसे उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला और उससे अब तक वो कैसे लड़ रहे हैं।

इरफान खान ने अपने फैंस के साथ अपना दर्द साझा करते हुए। लिखा कि इस दुनिया में अनिश्चितता ही सबसे निश्चित है। इस बात को थोड़ा समय हो गया है जब मेरा न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर का इलाज किया गया। यह शब्द मेरे शब्दकोष में नया और अलग है। इसकी जानकारी काफी कम है इसलिए इलाज को लेकर अनिश्चितता ज्यादा थी। मैं इस ट्रायल और एरर गेम का हिस्सा था। मैं अपने सपनों और प्लान  में उलझा हुआ एक ट्रेन में सफर कर रहा था कि तभी किसी ने मुझे जगा दिया। मैंने मुड़कर देखा तो टीटी था। उसने कहा कि आपका स्टेशन आ गया है, उतर जाइए। मैंने कहा, नहीं! ये मेरा स्टेशन नहीं है। उसने कहा, नहीं यही है, कभी-कभी ऐसा ही होता है। जिस तरह अचानक ये सब हुआ उससे मुझे अंदाजा हुआ कि आप बस एक विशाल समुद्र में एक छोटी सी वस्तु की तरह हैं, जो अप्रत्याशित धाराओं में बह रहा है। और आप बेसब्री से इसे कंट्रोल करनी की कोशिश कर रहे हैं।

मैं बस अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं

अस्पतालों की भागादौड़ी में मैंने अपने बेटे से एक बार कहा, इस वक्त मुझे बस खुद से यही चाहिए कि मैं अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊं। डर और दहशत मेरे ऊपर हावी होकर मुझे बेबस न बना दें। मेरा बस यही मकसद था, लेकिन फिर दर्द पता चला। आप दर्द को जान रहे होते हो और तभी अचानक से उसकी तीव्रता का पता लगता है। कुछ भी काम नहीं कर रहा था, न कोई सांत्वना, न कोई प्रेरणा। पूरे ब्रह्मांड उस पल में एक हो जाता है, बस दर्द, और दर्द भगवान से भी अधिक विशाल महसूस होता है।’इरफान ने इस लड़ाई में उनके लिए दुआ करने वालों का भी धन्यवाद किया।

दुआ करने वालों का धन्यवाद किया

इरफान ने इन सबके बीच अपने लिए दुआ मांगने वालों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने लिखा, लोग जिन्हें मैं जानता हूं और जिन्हें मैं नहीं जानता। वो अलग-अलग जगह और टाइम जोन से मेरे लिए दुआ कर रहे थे और मुझे ऐसा लगा कि वो सभी दुआएं एक हो गई हैं। एक विशाल ताकत, वर्तमान की एक शक्ति की तरह, जो मेरे रीढ़ की हड्डी के अंत से मेरे अंदर आ गई और मेरे सिर पर मुकुट के माध्यम से अंकुरित हो गई।