भारत और यूरोप के फुटबाल खिलाड़ियों की तुलना करना गलत : गार्सिया

नई दिल्ली (आईएएनएस) : समाचार ऑनलाईन – स्पेन के पूर्व मिडफील्डर लुइस गार्सिया का कहना है कि  स्पे न के पूर्व मिडफील्डर लुइस गार्सिया का कहना है कि भारतीय फुटबाल खिलड़ियों की तुलना यूरोपीय खिलाड़ियों से नहीं करनी चाहिए। उनका मानना है कि भारत में फुटबाल को बढ़ावा भारतीय फुटबाल खिलड़ियों की तुलना यूरोपीय खिलाड़ियों से नहीं करनी चाहिए। उनका मानना है कि भारत में फुटबाल को बढ़ावा देने के लिए देश की खेल संस्कृति को बदलने की सख्त जरूरत है। बार्सिलोना, लिवरपूल और एटलेटिको मेड्रिड से खेल चुके गार्सिया ने कहा कि भारतीय और यूरोपीय खिलाड़ियों की तुलना करना वैसा ही जैसे आप स्पेन के किसी व्यक्ति को क्रिकेट खेलने के लिए कहें। गार्सिया ने आईएएनएस से कहा, “उनकी तुलना करना गलत है। यूरोपीय फुटबाल खिलाड़ी बचपन से ही खेल को देखते और खेलते हैं। मुझे याद है कि दो साल की उम्र में मेरे पास गेंद थी और कई फुटबाल खिलाड़ियों के साथ यही होता है।”

गार्सिया ने कहा, “भारत में बच्चे फुटबाल नहीं क्रिकेट खेलते हुए दिखते हैं लेकिन जब वह अपने आर्दश खिलाड़ियों को फुटबाल खेलते हुए देखेंगे तो खेल संस्कृति में बदलाव आएगा।” इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में 2014 में गर्सिया एटलेटिको डे कोलकाता के लिए भी खेल चुके हैं। उन्होंने माना कि भारत में घरेलू फुटबाल का स्तर बेहतर हो रहा है। गार्सिया ने कहा, “हां, यह बेहतर हो रहा है। टीम की संख्या बढ़ने के कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। राष्ट्री टीम, अंडर-20 और अंडर-17 की टीमें भी बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। आईएसएल 2014 में शुरू हुआ था और अब इसे पांच साल हो गए हैं, हर व्यक्ति इसमें सुधार देख सकता है क्योंकि ट्रेनिंग कर रहे बच्चों की संख्या बढ़ी है और आईएसएल में शामिल टीमें 2014 से ज्यादा हैं । यह 2014 की तुलना में बेहतर है।”

उन्होंने कहा, “लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है, इस स्तर पर आप टूर्नामेंट को थोड़ा बढ़ाने का प्रयास करते हैं ताकि प्रशंसक खेल का अधिक आनंद ले पाएं।” भाारतीय टीम के एएफसी एशियन कप में किए गए प्रदर्शन पर गार्सिया ने कहा कि तकनीकी रूप से टीम को सुधार करते रहने की जरूरत है। गार्सिया ने कहा, “तकनीकी रूप से उन्हें लगातार सुधार करने की जरूरत है क्योंकि फुटबाल की संस्कृति देश में अभी-अभी आई है। मैं जानता हूं कि बहुत सारे शहर हैं जहां फुटबाल की संस्कृति लंबे समय से मौजूद है जैसे की गोवा लेकिन बाकी देश केवल फुटबाल देखता है। अब सुविधाएं बेहतर हो रही है और कई सारे ऐसे खिलाड़ी हैं जो तकनीकी रूप से बेहतरीन हैं। देश में खेल को लेकर गंभीरता भी बढ़ी है।”