सोना खरीददारों को अब ठग नहीं सकेंगे ज्वेलर्स, सरकार बनाने जा रही है ‘यह’ सख्त नियम, जानें

नई दिल्ली: समाचार ऑनलाइन- अगर आप सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए एक ध्यान रखें वाली बात है. सरकार सोना खरीदने संबंधी नियम में कुछ आवश्यक बदलाव करने जा रही है, जो ग्राहकों के लिए फायदेमंद; जबकि सोना कारोबारियों के लिए सिर दर्द बन सकता है.

आपको बता दें कि यह नियम हॉलमार्क से संबंधित है. हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय ने सोने के आभूषणों के लिए BIS हॉलमार्किंग (BIS Hallmarking) को अनिवार्य बनाने संबंधी प्रस्ताव को 1 अक्टूबर को मंजूरी दे दी है. इसके बाद सोने के सभी आभूषणों पर हॉलमार्किंग जरूरी हो जाएगी.

फ़िलहाल हॉलमार्किंग है स्वैच्छिक, ठगे जाते हैं ग्राहक

बता दें कि फ़िलहाल सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग स्वैच्छिक है. इसलिए कई ज्वेलर्स गहनों पर हॉलमार्क नहीं देते. इस वजह से सोने की शुद्धता का पता नहीं चल पाता. इसका फायदा उठाते हुए ग्राहकों को कई बार पर 22 कैरेट की बजाय 21 या अन्य अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों से कम कैरेट का सोना बेच दिया जाता है, जबकि दाम उनसे अच्छी गुणवत्ता वाले सोने के वसूले जाते हैं. लेकिन आगे से ऐसा नहीं होना वाला.

WTO को भेजा गया प्रस्ताव

बात दें कि शुक्रवार को उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने यह जानकारी देते हुए बताया कि, प्रस्ताव को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा. इसमें लगभग 2 महीने का समय लग सकता है.

हॉलमार्किंग के सही न होने पर होगी कार्रवाई

मिली जानकारी के अनुसार अगर हॉलमार्किंग में कोई त्रुटी पाई जाती है, तो ज्वेलर्स को पहले चरण में नोटिस जारी किया जाएगा.

देश में 800 हॉलमार्किंग केंद्र, हर साल 700-800 टन सोने का आयात

बता दें कि फ़िलहाल पूरे देश लगभग 800 हॉलमार्किंग केंद्र हैं. यहाँ पर सिर्फ 40 प्रतिशत आभूषणों की हॉलमार्किग की जाती है. भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक देश है. भारत प्रति वर्ष 700-800 टन सोने का आयात करता है. यहाँ सोने का अधिकतर उपयोग ज्वेलरी निर्माण में होता है.

तीन ग्रेड के आधार पर होती है हॉलमार्किंग

बता दें कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के पास हॉलमार्किंग के लिए प्रशासनिक अधिकार है. इसने तीन ग्रेड – 14 कैरट, 18 कैरट और 22 कैरट के सोने के लिए हॉलमार्किंग के लिए मानक तय किए हैं.

क्या है हॉलमार्किंग ?

आपको बता दें कि सोने की हॉलमार्किंग का मतलब उसकी शुद्धता का प्रमाण है. हॉलमार्किंग के जरिए हम यह पता कर सकते हैं कि ज्वेलरी में कितना सोना और कितना अन्य मेटल, कितने अनुपात में इस्तेमाल किया गया है. यह इन सब का सटीक निर्धारण एवं आधिकारिक रिकार्ड होता है. अब नए नि‍यमों के चलते सभी ज्‍वैलर्स को हॉलमार्किंग का लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा.

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