जेएनयू टू बंगाल…लेफ्ट को किनारे करने की हो गई शुरुआत

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : बिहार के बाद अब भाजपा की पूरी नजर बंगाल पर है। हालांकि वह मानती है कि बिहार की तरह बंगाल में राह आसान नहीं। यहां की सत्ता तक पहुंचने के लिए कुछ ज्यादा ही मेहनत करनी होगी। सधे कदमों से इसकी शुरुआत भाजपा ने दिल्ली से की। जेएनयू में  दो वर्षों से पर्दे में ढंकी स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण करके भाजपा ने लेफ्ट को ही साधने की कोशिश की है। जानकार मानते हैं कि  ये कदम बंगाल में सहानुभूति की लहर पाने की कोशिशों के तहत पहला कदम है। स्वामी विवेकानंद का ताल्लुक सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल से है।  प्रधानमंत्री मोदी प्रतिमा अनावरण अवसर पर अपने भाषणों में कई बार उनकी कही गई बातों को याद करते हुए दिखाई दिए।

बता दें कि जेएनयू लेफ्ट का गढ़ माना जाता रहा है और इस मूर्ति का लेफ्ट हमेशा से ही विरोध करता रहा है। पिछले वर्ष इस मूर्ति के साथ तोड़फोड़ तक की गई थी। 2016 में जब प्रोफेसर एम जगदीश कुमार जवाहरलाल नेहरू के वाइस चांसलर बने तब उन्होंने इस मूर्ति को यहां पर लगाने की राह आसान की थी।

पश्चिम बंगाल शुरू से ही लेफ्ट का गढ़ रहा। 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने राज्य से 34 वर्ष पुराने सीपीआई (एम) के शासन को उखाड़ फेंका था और पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं थीं।2016 के चुनाव उन्होंने यहां से दोबारा जीत दर्ज की। ममता ने राज्य से वामपंथी विचारधारा की जड़ों को उखाड़ने का काम बखूबी अंजाम दिया। यही वजह है कि 2021 के चुनाव में भाजपा की सीधी टक्कर भी ममता बनर्जी के साथ ही होने वाली है।