जस्टिस गोगोई ने संभाला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का कार्यभार

नई दिल्‍ली | समाचार ऑनलाइन

जस्टिस रंजन गोगोई आज से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का कार्यभार संभालेंगे। राष्‍ट्रपति भवन में राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्‍हें देश के चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ दिलाया। देश के 46वें चीफ जस्टिस के तौर पर वह जस्टिस दीपक मिश्रा की जगह ली। दीपक मिश्रा का कार्यकाल 02 अक्‍टूबर को समाप्‍त हो गया। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस गोगोई का कार्यकाल 17 नंवबर, 2019 तक होगा।

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4 सितंबर को जस्टिस गोगोई का नाम औपचारिक तरीके से कानून मंत्रालय के पास भेजा था। यह भी दिलचस्‍प है कि जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन 4 सर्वाधिक सीनियर जजों में शामिल रहे, जिन्‍होंने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर चीफ जस्टिस पर ‘मामलों का आवंटन अपनी पंसद की बेंच को करने और मनमाने ढंग से कामकाज’ का आरोप लगाया था। उन्‍होंने यह भी कहा था कि ‘लोकतंत्र खतरे में है।’

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जजों की यह प्रेस कॉन्‍फ्रेंस इस मामले में ऐतिहासिक थी, क्‍योंकि देश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, जब जजों ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर चीफ जस्टिस पर आरोप लगाए हों। इस मामले ने खूब तूल पकड़ा था और जब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सितंबर के पहले सप्‍ताह में अगले चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस रंजन गोगोई का नाम विधि मंत्रालय के पास भेजा था, तब ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार उनकी बजाय किसी जूनियर जज को इस पद के लिए नामित कर सकती है। हालांकि अब इन अटकलों पर विराम लग चुका है।

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जस्टिस गोगोई के सामने होंगे कई चुनौतियां –

जस्टिस गोगोई के सामने अब सीजेआई के रूप में कई ऐसे मामलों को निपटाने की चुनौतियां होगी, जो विवादास्‍पद व संवेदनशील हैं और जिन पर देशभर की नजरें टिकी हैं। इनमें अयोध्‍या विवाद और असम में राष्‍ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) का मुद्दा अहम है। उनके सामने सालों से पढ़ी मामलों को निपटाने की चुनौती भी होगी। जस्टिस गोगोई का संबंध पूर्वोत्‍तर भारत से है और वह देश के इस क्षेत्र से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने वाले पहले न्‍यायमूर्ति बने।

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