कर्नाटक: बोपैया प्रोटेम स्पीकर नियुक्त, जानें कल क्या भूमिका निभाएंगे 

बेंगलुरु: कर्नाटक में कल शाम होने वाले शक्ति परीक्षण के लिए भाजपा और कांग्रेस-जेडीएस अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। इन तैयारियों में एक-दूसरे के विधायकों को अपने पाले में लाने की कोशिश भी शामिल है। इसी बीच, बहुमत परीक्षण के लिए राज्यपाल ने प्रोटेम स्पीकर की नियु्क्ति कर दी। उन्होंने भाजपा के विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है। हालांकि कांग्रेस विधायक आरवी देशपांडे और भाजपा के उमेश कट्टी का नाम प्रोटेम स्पीकर की दौड़ में सबसे आगे थे। अब शनिवार को होने वाला बहुमत परीक्षण बोपैया की ही निगरानी में होगा।  कांग्रेस ने बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाने का विरोध किया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा नियमों के खिलाफ काम कर रही है। सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही इस पद के लिए चुना जाता है। इसके जवाब में भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केजी बोपैया को साल 2008 में भी राज्यपाल ने प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। उस समय बोपैया की उम्र 10 साल कम थी। कांग्रेस की आपत्ति बेवजह है।

क्या रोल होता है
कल होने वाले शक्ति परीक्षण में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका सबसे अहम् होगी। नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने और इसके बाद बहुमत परीक्षण करवाने की जिम्मेदारी प्रोटेम स्पीकर की होती है। प्रोटेम स्पीकर बहुमत परीक्षण के दौरान खुद वोटिंग नहीं कर सकता है, पर स्पीकर की तरह उनके पास भी टाई होने की स्थिति में निर्णायक वोट करने का अधिकार होता है। इसके अलावा उनका सबसे अहम रोल किसी भी वोट को क्लालिफाई या डिसक्वालिफाई करने में होगा।

येदियुरप्पा के ख़ास हैं बोपैया
बोपैया कर्नाटक के बी.एस येदियुरप्पा के खास हैं। अक्टूबर 2010 में भाजपा सरकार के दौरान जब येदियुरप्पा अवैध खनन के मामलों से घिरे थे, उस दौरान कई भाजपा विधायकों ने उनका विरोध किया था। बतौर स्पीकर बोपैया ने 11 बागी भाजपा विधायकों और 5 निर्दलीय विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। बोपैया का ये कदम कर्नाटक सरकार को बचाने के लिए काफी अहम साबित हुआ था।

जब कोर्ट ने लगाई थी लताड़
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर बोपैया को जमकर लताड़ लगाते हुए फैसले को रद्द कर दिया था।  जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस जोसेफ की पीठ ने कहा था कि येदियुरप्पा सरकार के खिलाफ असंतोष जताने पर विधानसभा स्पीकर को विधायकों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर, कुछ ज्यादा ही जल्दी में दिखते हैं। उनकी कार्रवाई से साफ है कि फ्लोर टेस्ट से पहले बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया गया।