किसन वीर सातारा सहकारी कारखाने को संवारने की कोशिश

सातारा : आर्थिक दृष्टि से चरमराई किसन वीर सातारा सहकारी कारखाने को संवारने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने कदम उठाया है। पवार की उपस्थिति में लगातार दो दिन बैठक हुई। इसमें पवार ने कारखाने की वर्तमान स्थिति के संबंध में पूरी जानकारी ली है। कारखाने को आर्थिक परेशानियों से बाहर निकालने के लिए अन्य विकल्पों पर चर्चा होने की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली है।

सहकार मंत्री बालासाहेब पाटिल, विधायक मकरंद पाटिल, जिला बैंक के संचालक नितिन पाटिल कए साथ ही सहकार सचिव की उपस्थिती में दो दिन बैठक हुई। बैठक में चर्चा के अनुसार कारखाने को संवारने के लिए लगभग 1000 करोड़ की जरूरत होगी। इसमे बंकाया, किसानो कएबिल, वाहनो पर कर्ज, बैंक का कर्ज आदि सभी बातो पर चर्चा हुई। कारखाने पर खंडाला और प्रतापगड कारखाने का बोझ कमि करने साथ ही चीनी निर्माण के मूल्य कओ ध्यान में रखा तो भी 600करोड की जरूरत होगी। अब यह 600 करोड़ कहाँ से आएंगे इस पर भी इस बैठक में चर्चा हुई। सभी कर्जो को एकत्रित कर किसी लीड बैंक के पास जा सकते हैं। 6 साल के लम्बे समय के लिए कर्ज लेकर धीरे धीरे चुकाने पर भी विचार किया गया।

शरद पवार से पौने घंटे तक चर्चा

कारखाने की वर्तमान स्थिति पर बैठक में चर्चा हुई। चीनी की उपलब्धता पर भी चर्चा हुआ।इस फसल के और पिछले बिल भी किसानों को अभी नहीं दिया गया है। कारखाने को संकट से बाहर निकालनेके लिए पवार की उपस्थिती में चर्चाहोने के बाद भी उसकी अमलबाजी के लिए राष्ट्रवादी को लड़ना होगा और जीतना भी पड़ेगा। सहकारिता विशेषज्ञो को लगता है कि इस कारखाने को फिर से खडा करने में 10 से 12 साल लगेंगे। इसलिए राष्ट्रवादी कांग्रेस इन सभी बातो का अंदाजा ले रही है। हम इसे संभाल सकते हैं कया, कर्ज का क्या कर सकते हैं, इन सभी बातो को सोच कर राष्ट्रवादी कांग्रेस कारखाने चुनाव के लिए हलचल शुरू करेगी। ऐसा राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है।

जल्द ही जांच संभव

कारखाने की इतनी विकट परिस्थिती होने के बाद शिकायत आने पर भी ऑडिट क्यों नहीं किया गया। यह सवाल पवार ने सहकार मंत्री से किया। मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि इन सब बातो की जांच के लिए कोई सक्षम अधिकारी को लगाता हूँ।

सर्वसमावेशक मार्ग का प्रस्ताव

चुनाव को साइड में रख कर ये संस्था कैसे चलेगी इस पर विचार होना चाहिए। वर्तमान स्थिति में चुनाव का खर्च उठाने लिए भी पैसा नहीं है। कारखाने के हित को ध्यान में रख कर सर्वसमावेशक मार्ग निकालने का भी प्रस्ताव भी आ रहा है। सबको एक साथ मिलकर कारखाने को संकट मुक्त कराए।

वाई तालुके के लगभग 10-12 लाख टन गन्ना इस कारखाने पर निर्भर है। अभी तक हमने इस पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसका राजनीतिक मतलब निकाला जाता। मकरंद पाटिल ने कहा कि अभी अगर कारखाना गिर गया तो कहा जाएगा कि हमने ध्यान नहीं दिया इसलिए कारखाना गिर गया।इसे कैसे संभालना है इस पर विचार किया जा रहा है। कल अगर चुनाव के माध्यम से अगर कारखाने पर कब्जा किया तो सारे वसूली करने वाले मेरे दरवाजे पर आ जाएंगे। अगर मैंने समय पर कर्ज नहीं चुकाया तो मेरी राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा। किसी और के द्वारा खड़ी की गई इस समस्या से सिर्फ मुझे ही परेशानी हो रही है। इन सभी समस्याओ का हल सिर्फ पवार साहब ही कर सकते हैं।