लवासा मामला : केवल शरद पवार के लिए ‘इस’ कानून में किया गया था संशोधन, याचिकाकर्ता का आरोप

मुंबई : ऑनलाइन टीम – लवासा परियोजना को कानूनी सहमति मिलनी चाहिए इसके लिए ‘बॉम्बे टेनेंसी एंड एग्रीकल्चर लैंड एक्ट 2005’ में संशोधन किया गया और सरकार ने कानून को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू करने की मांग की। केवळ शरद पवार के लिए इस कानून का संशोधन किया गया था। ऐसा आरोप जनहित याचिकाकर्ता और पेशे से वकील नानासाहेब जाधव ने उच्च न्यायालय में लगाया है।

शरद पवार, लवासा प्रोजेक्ट और एचसीसी के प्रबंध निदेशक अजीत गुलाबचंद को फायदा पहुंचाने के लिए 2004 में बॉम्बे टेनेंसी एंड एग्रीकल्चर लैंड एक्ट में संशोधन के लिए एक बिल विधानसभा में पेश किया गया था। बिल का सभी ने विरोध किया था। बिल का विरोध करते हुए नारायण राणे ने कहा था कि इस बिल को एक व्यक्ति, एक उद्योगपति और एक परियोजना के लिए शामिल किया जा रहा है।

तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने विधेयक को चर्चा के लिए संयुक्त समिति को भेजने के लिए सदन में प्रस्ताव रखा। इसे सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया था।  लेकिन, उसके बाद संबंधित विधेयक संयुक्त समिति के पास नहीं गया। राष्ट्रवादी के नेता डॉ. राजेंद्र शिंगणे ने विधानसभा अध्यक्ष से प्रस्ताव को रद्द करने और बिल को मंजूरी देने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने मंजूरी दे दी और 1 जून, 2005 से संबंधित कानून को पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधित किया।

इस तरह अवैध लवासा परियोजना को कानूनी मान्यता मिली। जाधव ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ के समक्ष ऐसा तर्क रखा। बता दें कि पुणे में एक हिल स्टेशन पर स्थापित लवासा परियोजना कई नियमों का उल्लंघन करने के लिए सुर्खियों में रही है।