लोकसभा चुनाव: सरकार अब गरीबों को देगी ‘पेट्रोल पंप’ और ‘कुकिंग गैस’ की एजेंसी

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – केंद्र सरकार ने हाल ही में आर्थिक रूप से पिछड़े (ईडब्ल्यूएस) सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है। जिसके बाद से सरकार के इस फैसले को लोकसभा चुनाव 2019 का ‘मास्टरस्ट्रोक’ बताया जा रहा है। अब सरकार इसके अंतर्गत गरीब सवर्णों को राज्य सरकार द्वारा संचालित तेल विपणन कंपनियों के तहत ‘पेट्रोल पंप’ और ‘कुकिंग गैस’ एजेंसी आवंटित करेगी। इस पर सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह कंपनियां केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का अनुसरण करेंगी।

अधिकारी ने कहा कि नए पारित कानून के अधिसूचित होने के बाद ईडब्ल्यूएस श्रेणी को 10 फीसदी आरक्षण (खुदरा दुकानों के आवंटन में) देने का औपचारिक प्रस्ताव उचित समय पर शुरू किया जाएगा। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। अधिकारियों ने कहा कि विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा।

बता दें कि राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेता- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पहले से ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण नीति है। पेट्रोल पंप और एलपीजी एजेंसियों के आवंटन में ओबीसी कोटा की शुरुआत मनमोहन सिंह सरकार के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 20 जुलाई, 2012 को की थी। वर्तमान में इस तरह का आवंटन 22.5 प्रतिशत एससी और एसटी के लिए और 27 प्रतिशत ओबीसी के लिए है। वहीं पूरे देश में सामान्य श्रेणी से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए 50.5 प्रतिशत है, लेकिन यह प्रतिशत अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में अलग है। पूर्वोत्तर के राज्यों में खुदरा दुकानों के लिए आरक्षण सामाजिक-आर्थिक संरचना के अनुसार अलग-अलग है।